तो दस लाख में शिक्षक और आठ में नियुक्त हुआ बाबू!
दो सहायता प्राप्त स्कूलों में नए बीएसए ने की नियुक्तियां
दो सहायता प्राप्त स्कूलों में नए बीएसए ने की नियुक्तियां
डेली न्यूज़ नेटवर्करायबरेली। भले ही इस बात के पुख्ता प्रमाण न हो कि बीएसए जीएस निरंजन और पटल सहायक ने कितने पैसे लेकर सहायता प्राप्त दो विद्यालयों में एक शिक्षक और बाबू की नियुक्ति की है, लेकिन विभाग में इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि नियमों को ताख पर रखकर दस लाख में शिक्षक और आठ लाख में बाबू की तैनात की गयी है। सूत्रों के मुताबिक बीएसए ने इन नियुक्तियों को अनुमोदित कर दिया है। सहायता प्राप्त विद्यालयों में नियुक्तियों के नाम पर एक बड़ा खेल चल रहा है। विज्ञप्ति उन अखबारों में प्रकाशित करायी जा रही है जिनका जिले में प्रसार ही नहीं है। सहायता प्राप्त विद्यालयों में नियुक्तियों को लेकर एक बड़ा खेल चल रहा है। पूर्व बीएसए रामसागर पति त्रिपाठी द्वारा लालगंज क्षेत्र के दहीवीर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक और जवाहर माध्यमिक विद्यालय यदुनाथगंज में बाबू की नियुक्ति के विज्ञापन प्रकाशन की अनुमति प्रबंधक को दी थी। विज्ञापन किन समाचार पत्रों में छपा यह विभाग नहीं बता पा रहा है जबकि नियमानुसार विज्ञापन एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक और एक स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित होना चाहिए। बीएसए श्री त्रिपाठी इससे पहले कि उक्त नियुक्तियों का अनुमोदन कर मोटी रकम वसूल पाते उनका तबादला हो गया। बताया जा रहा है कि पूर्व बीएसए के समय शिक्षक की नियुक्ति आठ लाख और बाबू के लिए छह लाख की बात हुयी थी। इसी बीच उनका तबादला हो गया। नये बीएसए के रूप में गुरूशरण सिंह निरंजन आये। श्री निरंजन की कार्यशैली पहले दिन से ही चर्चा का विषय बनी रही। विद्यालय प्रबंधन ने नियुक्तियों का पटल देख रहे बाबू के माध्यम से नये बीएसए से बात करायी। कार्यालय सूत्रों की मानें तो नये साहब ने दो-दो लाख बढ़ा दिये। नियुक्ति पटल के बाबू ने सारी खानापूर्ति कर नये बीएसए श्री निरंजन से अनुमोदन करा लिया। आनन-फानन में उक्त दोनों विद्यालयों में हुयी नियुक्तियों की चर्चा पूरे विभाग में फैली हुयी है। इससे पूर्व भी सहायता प्राप्त विद्यालयों में की गयी निुयक्तियों में भारी धांधली की गयी है। रासीगांव में तो स्कूल की बिल्डिंग ही नहीं है फिर भी वहां नियुक्ति की गयी। तत्कालीन प्रभारी बीएसए आशा कनौजिया के अनुमोदन पर यहां हुयी नियुक्ति भी नियम विरूद्ध है। इस सम्बन्ध में जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जीएस निरंजन के सीयूजी नम्बर पर सम्पर्क किया गया तो उनका मोबाइल स्विच आफ था। नियुक्ति पटल का काम देख रहे वरिष्ठ सहायक जितेन्द्र सिंह के मोबाइल पर कॉल की गयी तो कई बार बेल जाने के बाद भी उन्होंने फोन नहीं उठाया। यहां अब यह हो रहा हैरायबरेली। नियमों को ताख पर रखकर पहले आदेश करना और मामला मीडिया में पहुंचने पर उसी आदेश को फाड़कर फेंक देना नये बीएसए की आदत हो गयी है। बालिका शिक्षा की जिला समन्वयक शुभ्रा त्रिपाठी के आदेश में ऐसा हो चुका है। पहले उन्हें हटाने का आदेश हुआ और बाद में उसे फाड़ दिया गया। नियुक्तियों पर सवाल उठाने वाले लोगों का कहना है कि अगर अनुमोदन डिस्पैच नहीं हुआ होगा तो हो सकता है साहब उसे रोक दें।
नियमों को ताख पर रखकर पटल प्रभारी ने करायी डीलिंग
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