- चार्ज मिलते ही शिक्षामंत्री व सरकार की कराने लगे किरकिरी
- अब सीधे मिल रहा है बाल्य पाल्य देखभाल अवकाश
रायबरेली। हर काम में व्यवस्था तलाश रहे नवागत बीएसए ने दस दिन के अंदर
ही अपने आप को चर्चाओं के चरम पर पहुंचा दिया है। विभागीय अधीनस्थ हैरान तो
इस बात से हैं कि पहली बार कोई बीएसए आया है जो सीसीएल (बाल्य पाल्य
देखभाल अवकाश) भी डायरेक्ट करता है। पूरी तरह से शैक्षिक व्यवस्था चौपट
होती जा रही है। हाल ही में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में
लेखाकारों के साथ बैठक में बीएसए द्वारा दिया गया 50 में से केवल 35 हजार
महीने में खर्च करने का निर्देश चर्चा का विषय बना हुआ है। जनपद का
बुद्धिजीवी वर्ग भी हैरान है कि आखिर समय में हर क्षेत्र में प्रदेश सरकार
जहां अपनी छवि बनाने में जुटी है वहीं विवादित बीएसए को रायबरेली में
तैनाती कैसे मिल गयी? अपने कारनामों से आये दिन चर्चा का विषय बन रहे जिला
बेसिक शिक्षा अधिकारी गुरू शरण सिंह निरंजन का यह पहला जिला है जहां
उन्हें बीएसए की कुर्सी इस सरकार में मिली है। धन उगाही के आरोप तो बीएसए
पर पहले भी लग चुके हैं। यही नहीं देवरिया में प्रशिक्षु शिक्षिकाओं द्वारा
गम्भीर आरोप भी लगाये गये थे। बावजूद इसके रायबरेली जैसे महत्वपूर्ण जनपद
में बेसिक शिक्षामंत्री ने अपनी व सरकार की किरकिरी कराने के लिए इन्हें
भेज दिया। रामपुर कारखाना (देवरिया) में जीएस निरंजन डायट प्राचार्य के रूप
में तैनात थे। यहां तैनाती के दौरान इन्होंने कुशीनगर स्थानान्तरित किये
गये डायट प्रवक्ता धर्मेन्द्र पाण्डेय को प्रशिक्षुओं के अनुरोध के बाद भी
रिलीव कर दिया था। इसके बाद प्रशिक्षुओं का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया
था और इनकी जमकर पिटाई प्रशिक्षुओं ने की थी। प्रशिक्षु शिक्षकों ने बीएसए
श्री निरंजन को दौड़ा-दौड़ाकर इतना पीटा था कि इन्हें अपनी जान बचाने के लिए
शौचालय में छिपना पड़ा। धन उगाही के आरोप लगाते हुए प्रशिक्षुओं ने डीएम के न
आने तक श्री निरंजन के विरोध में सड़क जाम कर दी थी। बाद में बीएसए और
डीआईओएस ने पहुंचकर किसी तरह मामला शांत कराया था। बाद में जब रामपुर
कारखाना के तत्कालीन थानेदार देवेन्द्र विक्रम सिंह ने जीएस निरंजन से
पीटने वाले छात्रों के खिलाफ तहरीर मांगी तो इन्होंने तहरीर देने से मना
करते हुए कहा था कि कोई कार्रवाई नहीं करनी है। चूंकि प्रशिक्षु शिक्षकों
के पास इनके काले कारनामों की लम्बी फेहरिश्त थी इन्हें डर था कि कहीं वह
सामने न आ जाए। यह पहली घटना नहीं है जिसको लेकर मौजूदा बीएसए विवादित रहे
हों ऐसे ही तमाम घटनायें हैं जिसकी वजह से इन्हें जिला बेसिक शिक्षा
अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर पोस्टिंग नहीं दी जा रही थी। बीएसए ने बाल्य
पाल्य देखभाल अवकाश का सिस्टम डायरेक्ट कर दिया है। अभी तक यह अवकाश खण्ड
शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से स्वीकृत होता रहा है लेकिन अब मौजूदा बीएसए
सीधे यह अवकाश स्वीकृत कर रहे हैं। हाल ही में एक शिक्षक नेता ने सतांव
क्षेत्र की एक शिक्षिका का सीसीएल सीधे स्वीकृत कराया है। पहले इस शिक्षक
नेता ने बीईओ से कहा था लेकिन बीईओ ने साहब का निर्देश बताकर हाथ खड़े कर
दिये थे। तब शिक्षक नेता ने सीधे अवकाश स्वीकृत कराया। हर हस्ताक्षर का
हिसाब लेने वाले नवागत बीएसए का सरकारी मोबाइल ज्यादातर बंद ही रहता है।
अगर खुला रहा तो वह फोन नहीं उठाते। शुक्रवार को उनसे बात करने का प्रयास
किया गया तो उनका मोबाइल बंद मिला। विवादित अधिकारी की शिक्षा विभाग में
तैनाती से आहत जागरुक लोगों ने तत्काल इन्हें यहां से हटाने की मांग उठायी
है। उक्त लोगों ने कहाकि जल्द ही बेसिक शिक्षा मंत्री से मिलकर इन्हें
हटाने का ज्ञापन दिया जाएगा।
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