राजधानी के प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में सत्र शुरू हुए चार महीने हो गए हैं, लेकिन अब तक बच्चों को किताबें मुहैया नहीं करवाई गई हैं। अगस्त से स्कूलों में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं होनी हैं, ऐसे में अब शहर के दो हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चों को बिना किताबों के ही परीक्षा देनी होगी। वहीं शिक्षकों के लिए भी गुणवत्तापरक
शिक्षा मुहैया करवाना एक बड़ी चुनौती बन गई है।
एक-दो किताबों से पूरा
हो रहा कोर्स
जवाहरनगर प्राइमरी स्कूल शिक्षा भवन के ठीक पीछे बना हुआ है। यहां के बच्चों ने बताया कि टीचर एक किताब से हम लोगों को पढ़ाती हैं। वहीं एक दो बच्चों के पास पुराने साल की किताबे हैं, जिनसे हम लोग मिलकर पढ़ते है। जवाहर नगर की तरह लगभग सभी सरकारी स्कूलों का यही हाल है। एक दो किताबों से शिक्षक पूरा कोर्स निपटा रहे हैं। किताबों की छपाई का टेंडर लेट हो जाने से अब तक किताबें छप कर नहीं आ सकी हैं।
अगस्त में एग्जाम और अब तक नहीं मिली किताबें
पिछले साल भी किताबों की छपाई में देरी हुई थी। ऐसे में एडी बेसिक महेंद्र सिंह राणा ने सभी स्कूलों में बुक बैंक बनवाने का आदेश जारी किया था। इसमें सत्र बीतने के बाद बच्चों के किताबें जमा करवाने की बात कही गई थी, जिससे दूसरे साल के बच्चों को समय से किताबें मिल सकें। हालत ये है कि एक दो को छोड़कर किसी भी स्कूल में बुक बैंक जैसी कोई भी व्यवस्था नहीं है। जहां है भी वो वहां के शिक्षकों के प्रयासों पर निर्भर है, जिसमें विभाग का कोई सहयोग नहीं है।
एक सप्ताह पहले बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने स्कूलों का दौरा किया था, लेकिन उनका दौरा सिर्फ शिक्षक और खंड शिक्षाधिकारियों की खबर लेने तक ही सीमित रह गया। बच्चों के पास किताब नहीं है। यह मंत्री भी नहीं देख सके और न ही इस मुद्दे पर अब तक उनकी ओर से कोई चर्चा की गई।
शहर के दो हजार से अधिक सराकारी स्कूलों में यही हाल
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