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Saturday, July 16, 2016

लखनऊ : आरटीआई से भाग रहे निजी शिक्षक, नहीं हो रहे एडमिशन, ‘‘सैंडविच’ बने अभिभावक

 जुलाई आधी बीतने पर भी आरटीई सेल नहीं करा पा रहा एडमिशन गोलमोल जवाब दे रहे अधिकारी लखनऊ। अभिभावकों की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हो रही है, उनके बच्चों का एडमिशन जिन कालेजों में भेजा गया है, वहां का प्रबन्धन लेने से टरका रहा है, ऐसे में उक्त स्कूलों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, इस पर अधिकारी गोलमोल जवाब दे रहे हैं। बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि एक तय प्रक्रिया के बाद ही स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी तो वहीं आरटीई सेल की प्रभारी सुश्री विजय लक्ष्मी कहती हैं कि कार्रवाई का अधिकार उन्हें नहीं है। वह अभिभावकों से कहती हैं कि जिन स्कूलों में एडमिशन के लिए कागज भेजे गये हैं, उनसे जाकर चिरौरी करो। मड़ियांव निवासी अरविन्द गुप्ता ने आरटीई (राइट टू एजूकेशन) के तहत अपने बेटे अनिकेत को सरकार की योजना के तहत निशुल्क योजना के लिए फार्म भरा, कई हफ्तों दौड़ने के बाद उन्हें घर के पास ही स्थित बाल निकुंज विद्यालय में उनके बेटे के एडमिशन कराने को कहा गया, लेकिन स्कूल ने सीटें फुल होने की बात कहकर एडमिशन नहीं लिया। अब पिता अरविन्द गुप्ता कभी बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी के पास भागते हैं तो कभी आरटीई सेल की इंचार्ज विजय लक्ष्मी के पास, लेकिन उनकी समस्या का निदान कोई नहीं कर रहा। यह एक बानगी है, बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में बने आरटीई सेल की वजह से 15 जुलाई बीतने के बाद भी सैकड़ों अभिभावक ‘‘सैंडविच’ बने घूम रहे हैं। जिलाधिकारी कार्यालय से आदेश पर आदेश जारी हो रहे हैं, लेकिन बीएसए कार्यालय में इन्हें सुनने वाला कोई नहीं। चोट की वजह से पिछले 15 दिनों तक छुट्टी पर रहीं आरटीई सेल की इंचार्ज सुश्री विजय लक्ष्मी मीडिया से कहती हैं कि ऐसे मामलों को दिखवाया जाएगा, लेकिन उन पर आरोप है कि वह अभिभावकों से सीधे मुंह बात ही नहीं करतीं। रानीगंज निवासी बबली राजपूत अपने बच्चे किसना के एडमिशन के लिए चक्कर लगा रही हैं। वे कहती हैं कि फार्म भरे हुए हफ्तों बीत गये, लेकिन कोई भी सही जानकारी नहीं दे रहा है कि उनके बच्चे का एडमिशन पायनियर मान्टेसरी स्कूल में हो पाएगा या नहीं। उन्होंने बताया कि उनसे कई ‘‘आप्सन’ भी लिखवाए गये, लेकिन वह अपने बच्चे को उक्त अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती हैं। कुछ यही हाल है 462/210 हुसैनाबाद स्थित रूबीना का, वह भी अपने बच्चे मो. जमील के एडमिशन के लिए परेशान हैं। वह हर सप्ताह विभाग आकर जिला समन्वयक की चिरौरी करती हैं, लेकिन उन्हें कोई बताने वाला नहीं है कि उनके बच्चे का एडमिशन कब और कैसे हो सकेगा। 536 क/609 मक्कागंज खदरा निवासी नन्दिनी का भी यही हाल है। वह अपनी बिटिया अमीषा का एडमिशन कराना चाहती हैं, लेकिन आरटीई सेल के बाबू उन्हें जांच व सत्यापन के नाम पर डेढ़ महीने से टरका रहे हैं। मुर्गखाना हुसैनाबाद निवासी मोहम्मद मोईन व निकहत फातिमा भी मो. हमजा के दाखिले के लिए कई दिनों से दौड़ रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी उन्हें घटिया स्कूल लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। विशाल अग्रवाल के बेटे अर्थव को भी ग्रीनफील्ड स्कूल टरका रहा है, पिता कहते हैं कि 15 दिन बीत चुके हैं, इसके बाद भी एडमिशन नहीं हो पाया है, स्कूल कहता है कि आप बीएसए कार्यालय जाकर पता करें, लेकिन यहां कोई जवाब ही नहीं मिलता, ऐसे में उनका क्या होगा, कोई नहीं बता रहा है। 




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