अमान्य विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को मामला राज्यसभा में उठा है। ऐसे विद्यालयों के बंद होने से इनमें पढ़ने वाले बच्चों के शैक्षिक इंतजाम पर पूछे गए सवाल की जिलों से जानकारी मांगी गई है। जिसके लिए बेसिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों को पत्र जारी किया है।शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद प्रशिक्षित शिक्षकों के ही शिक्षण कार्य करने और बिना मान्यता के किसी भी विद्यालय का संचालन न होने का नियम लागू हो गया है। जिन विद्यालयों की मान्यता नहीं है या फिर मानकों का पालन नहीं करते हैं उन्हें बंद करने का पूर्व से फरमान जारी किया जा चुका है। बीएसए से तो प्रमाण पत्र भी मांगा गया था। देखा जाए तो सरकारी और मान्यता प्राप्त विद्यालयों के अतिरिक्त काफी संख्या में जुगाड़ वाले विद्यालय संचालित हैं। जिनमें कक्षाएं तो लगती हैं लेकिन न मान्यता है और न ही प्रशिक्षित शिक्षक शिक्षिकाएं। बताया जाता है कि ऐसे विद्यालयों के बच्चों के नाम किसी दूसरे विद्यालय में पंजीकृत होते हैं और शिक्षण किसी दूसरे विद्यालय में करते हैं और इसी पर रोक लगा दी गई है। जिससे कहीं न कहीं इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है और राज्य सभा में यही मामला उठाया गया है। जिसमें पूछा गया कि अमान्य विद्यालय बंद हो जाने से इनमें पढ़ने वाले बच्चों के प्रवेश का शासन ने क्या इंतजाम किया है। राज्यसभा में पूछे गए सवाल की मानव संसाधन विकास मंत्रलय से जानकारी मांगी गई है।
No comments:
Write comments