समान शिक्षा के लिए जरूरी है कि सरकारी विद्यालयों को विकसित किया जाए। अभी केवल निजी स्कूलों में दुर्बल वर्ग के बच्चों के दाखिले के लिए आरटीई के तहत प्रयास किया जा रहा है। जरूरत है कि सरकारी स्कूलों का स्तर सुधार कर वहां इस स्कीम को प्रभावी ढंग से चलाया जाए। यह कहना है मुम्बई से आए आरटीई एक्टीविस्ट सिमंतिनी घुरू का।
नरही के लोहिया भवन में शनिवार को आयोजित बैठक में सिमंतिनी घुरु ने कहाकि निजी स्कूल अति दुर्बल वर्ग के बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे हैं। क्योंकि बच्चों को किताबें और ड्रेस तो खरीदनी ही पड़ती हैं। उनके अनुसार केवल आरटीई से ही शिक्षा में गुणात्मक सुधार नहीं आएगा। इसके लिए सरकारी स्कूलों को सशक्त बनाना होगा।नवीन तिवारी ने कहाकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी वेतन पाने वाले कर्मचारी, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और न्यायधीशों के बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाने का आदेश 18 अगस्त 2015 को दिया था। इसके बावजूद सरकार ने इस दिशा में एक भी कदम नहीं बढ़ाया है। सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा 1 अगस्त को हिन्दी संस्थान से गांधी प्रतिमा चौक तक सुबह 11 बजे मार्च निकाला जाएगा।
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