DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Sunday, July 3, 2016

हरदोई : अध्यापक लगा रहे झाड़ू, सफाई कर्मी बन गए बाबू, बीएसए ने कहा कि जिलाधिकारी तक विद्यालयों की बात पहुंचाकर कराएंगे साफ सफाई

हद हो गई। बातें तो आसमान की हो रही हैं लेकिन जमीनी हकीकत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। परिषदीय विद्यालयों में साफ सफाई शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। हालत तो यह हो गई है कि अध्यापक झाड़ू लगा रहे हैं और सफाई कर्मचारी बाबू बन गए हैं। एक दो नहीं पूरे जिले में यही हालत है पर जिम्मेदार आंख बंद किए हुए बैठे हैं।परिषदीय विद्यालयों में संसाधन और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को लेकर शासन प्रशासन से न जाने कितने इंतजाम और दावे किए जाते हैं। कहने को तो स्च्च्छ भारत अभियान भी चल रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार दोनों साफ सफाई के प्रति गंभीर हैं लेकिन शिक्षा के मंदिर में सफाई की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो कहीं पर भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं हैं। अन्य इंतजाम और कार्य तो शिक्षक शिक्षिकाएं कर लेते हैं लेकिन विद्यालयों की सफाई सबसे बड़ी समस्या है। वैसे तो पूरे साल यही समस्या बनी रहती है लेकिन छुट्टियों के बाद खुले विद्यालयों में तो साफ सफाई जी का जंजाल बनी हुई है। शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना है कि जिन विद्यालयों में बाउंड्रीवाल नहीं है उनमें तो कमरों के अंदर तक कूड़ा भरा मिलता है। शनिवार को विद्यालय खुला तो किसी तरह कुछ सफाई हुई। कहीं अध्यापकों ने झाड़ू लगाई तो कहीं च्च्चों ने हाथ बटाया, लेकिन विद्यालयों की तरफ सफाई कर्मचारी झांकने तक नहीं गए। विभागीय जानकारों का कहना है कि मजबूरी में अध्यापकों को झाड़ू लगानी पड़ रही है और गांव में तैनात सफाई कर्मचारी बाबू बन गए हैं। शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना है कि अगर 15 मिनट का समय निकाल लें तो विद्यालयों की दशा ही सुधर जाए। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी का कहना है कि वह जिलाधिकारी तक विद्यालयों की बात पहुंचाकर साफ सफाई का इंतजाम कराएंगे और जल्द ही आवश्यक कदम उठाया जाएगा।

No comments:
Write comments