जर्जर इमारतों पर कारवाई करते हुए भवन स्वामियों को नोटिस दिया जा रहा है। कई के आवेदन आ रहे हैं। कई भवनों में विवाद होने के चलते कार्रवाई नहीं हो पाती है।उदय राज सिंहनगर आयुक्त, नगर निगम
महात्मा गांधी वार्ड में 5, मशकगंज में 1, बाबू बनारसी दास मंे 4, यदुनाथ सान्याल में 4, रानी लक्ष्मी बाई में 10, गोलागंज में 1, मौलवीगंज में 4, जेसी बोस में 8, ऐशबाग-1, तिलक नगर-2, मोती नगर-8, चंद्रभानु गुप्त नगर-1, यहियागंज-14, कुंडरी रकाबगंज-5, वशीरतगंज-5, राजाबाजार-1, नेताजी सुभाष-8, राजेंद्र नगर-3, बेगम हजरत महल-4, निशातगंज-1, ओम नगर-2, चौक-4, कब्ले आबिद द्वितीय-3, कल्बे आबिद प्रथम-1, शीतला देवी-2, मल्लाही टोला प्रथम-1, सआदतगंज-1।
लखनऊ (डीएनएन)। छावनी क्षेत्र व कैसरबाग में जर्जर भवन का हिस्सा गिरने के बाद भी नगर निगम और जिला प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं। नगर निगम की सूची के अनुसार जर्जर भवन में प्राथमिक विद्यालय चल रहा है। हाल ही एक प्राथमिक विद्यालय की छत गिर चुकी है इसके बाद शहर में जर्जर घोषित भवनों में नन्हे-मुन्नों को पढ़ाया जा रहा है। बाबू बनारसी दास वार्ड में प्राथमिक विद्यालय सुग्गादेवी मार्ग, उदयगंज को नगर निगम ने जर्जर घोषित किया है। इसी प्रकार सता ख्वाजा हुसैनगंज प्राथमिक विद्यालय भी जर्जर भवनों की सूची में है। भूकंप के दौरान जर्जर भवनों को नोटिस देने की बात कही गई थी। नोटिस देने का सिलसिला हर साल बारिश में होता है लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं की जाती है। सदन के आदेश पर भी नगर निगम ने जर्जर भवनों का चिन्हित नहीं कराया। वर्ष 2015 की सूची के मुताबिक 105 जर्जर भवन नगर निगम ने चिन्हित किए हैं। जबकि इनकी संख्या दो गुना हो चुकी है। जर्जर भवनों का हाल यह है कि ऐसे भवनों में पांच-पांच परिवार पचास वर्षों से रह रहे हैं। वहीं ऊपरी मंजिल की गिर चुकी छत के नीचे बडे़ बडे़ शोरूम चल रहे हैं। गत वर्ष भूकंप आने के दौरान जर्जर भवनों का सर्वे कराया गया था। इसके बाद और भवन स्वामियों को नोटिस देने तक की नगर निगम ने कार्रवाई की। अब बारिश में जर्जर भवनों की दीवारें दरकने लगी हैं। अगर भारी बारिश होती है तो ये खतरनाक भवन किसी भी हादसे का सबब बन सकते हैं। शहर के विभिन्न इलाकों में 105 भवन जर्जर भवनों की सूची में हैं। इन भवनों पर नोटिस चस्पा करने के बाद नगर निगम व जिला प्रशासन कार्रवाई करना भूल गया। हालांकि नगर निगम की कार्रवाई सिर्फ कागजी होती है। हकीकत यह है कि उक्त सूची में कइयों को नोटिस भी नहीं मिली है या फिर जो भवन जर्जर नहीं हैं उसे भी जर्जर भवनों की सूची में डाल दिया गया है।
नगर निगम व जिला प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
नगर निगम की लापरवाही कभी भी शहरवासियों के लिए भारी पड़ सकती है। शहर में 60-70 साल पुराने भवन जर्जर हो चुके हैं। जर्जर भवनों में से लगभग 72 भवन बिल्कुल खतरनाक घोषित किए गए हैं। पुरानी सूची में कई भवन स्वामियों ने भवन गिराकर नया निर्माण करा लिया है। जबकि अमीनाबाद में जर्जर भवनों के नीचे ही शोरूम चल रहे हैं। ऐसे में हादसे के मुहाने पर खड़े जर्जर भवनों के किसी आपदा के दौरान ढहने से बड़ा हादसा हो सकता है।
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