मैले कुचैले कपड़े पहने करीब 40 साल का एक व्यक्ति मंगलवार को दोपहर बीएसए कार्यालय में दाखिल हुआ। माथे पर आए पसीने को गमछे से पोंछते हुए दोनो हाथ जोड़कर वह बीएसए के स्टेनो कमलेश यादव से मुखातिब हुआ। बोला, बड़े साहब से मिलना है। इसपर बताया गया कि बीएसए तहसील दिवस में गए हैं। यह सुनकर मायूस होकर वह लौटने लगा तो स्टेनों ने उसे रोककर नाम और काम पूछा। उसने अपना नाम तारा सिंह बताते हुए कहा साहब बच्चों को अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल में दाखिला दिला दीजिए। सुना है कि वहां बढ़ियां पढ़ाई होती है। लेकिन हेडमास्टर साहब ने प्रवेश लेने से मना कर दिया। तारा सिंह यहीं नहीं थमे बोले, साहब हम उन्नाव जनपद के शीतलगंज भवगंतपुर गोठवाली तहसील शफीपुर के रहने वाले हैं। अनुसूचित जाति के होने के कारण शुरुआत में परिवार की गरीबी के कारण पढ़ाई नहीं कर सके। ऐसे में आज परिवार के साथ रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। बीएसए जेएन सिंह ने बताया कि उक्त तीनों बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा। यहां शिक्षकों की कमी को तत्काल दूर किए जाने की प्रक्रिया होगी।
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