सरकारी स्कूलों की बदहाली पर तमाम तस्वीरें व खबर हर किसी ने देखी व पढ़ी होंगी, लेकिन हाल के वर्षो में कोई कामयाब हुआ हो यह किसी ने शायद ही सुना हो, पर असमोली की बेटी वैशाली ने इस मिथक को तोड़कर नई इबारत लिखी है। इस बेटी की प्रतिभा और उसके जुनून ने विश्व में भारत के सरकारी स्कूलों को एक नई पहचान दे दी है। उसे यूनिवर्सिटी ऑफ मॉसाकुसेट एमहेस्र्ट अमेरिका से स्नातक की पढ़ाई का न्योता मिला है। विकास खंड असमोली पर वैशाली
के प्राइमरी स्कूल सैदपुर जसकोली में मास्टर सोवीर व गृहणी राजकला की बेटी वैशाली धारीवाल की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक प्राइमरी स्कूल में हुई। सरकारी स्कूल में मास्टर के पद पर तैनात पिता ने चाहे जो सोचकर यह निर्णय लिया हो, लेकिन इस निर्णय को एक लक्ष्य दिया वैशाली ने। वर्ष 2009 में उसने कक्षा पांच फस्र्ट डिवीजन में पास की। विद्या ज्ञान की परीक्षा पास कर कक्षा छह से उसने बुलंदशहर के विद्या ज्ञान स्कूल में प्रवेश पा लिया। सीबीएसई बोर्ड के स्कूल में दाखिला पाकर वैशाली की प्रतिभा और निखरी। पहले हाईस्कूल 10 सीजीपीए फिर इंटरमीडिएट 94.4 फीसद अंक पाकर उसने अपने लक्ष्य का पहला पड़ाव पा लिया। तकरीबन छह माह पहले विद्या ज्ञान ने प्रदेश के बीस जनपदों के टॉप टेन छात्र छात्रओं की आगे की पढ़ाई के लिए परीक्षा ली तो वैशाली ने उसे भी पास कर लिया। इसी बीच अमेरिका के प्रसिद्ध स्कूलास्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (एसएटी) तथा टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंग्वेज भी उसने पास कर लिया। नतीजतन यूनिवर्सिटी ऑफ मॉसाकुसेट एमहेस्र्ट अमेरिका से स्नातक की पढ़ाई का न्योता मिला। पॉलिटिकल साइंस से चार वर्षीय स्नातक करने के लिए यूनिवर्सिटी ने उसे बुलाया है। उसे विदेश मंत्रलय ने सात जून, 2021 तक का वीजा नंबर-20161605460001 भी उपलब्ध करा दिया है। वैशाली कहती है कि जरूरी नहीं कि आगे बढ़ने के लिए अच्छे स्कूल में ही दाखिला हो। यदि मन में लगन है तो कहीं भी पढ़कर आप आगे जा सकते हैं। विद्या ज्ञान स्कूल को अपने जीवन का टर्निग प्वाइंट बताते हुए वह कहती हैं कि उनकी तमन्ना किसी यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस की प्रोफेसर बनना है और वह बनकर दिखाएगी। वैशाली अमेरिका जाने को रविवार को दिल्ली रवाना होगी।
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