देवरिया जिले के गौरीबाजार ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पिपराधन्नी में तैनात एक शिक्षक का तबादला हुआ तो पूरा गांव दुखी हो गया। इसका कारण उस शिक्षक का पढ़ाई के प्रति समर्पण था। गांव वालों ने न सिर्फ जुलूस निकाल कर उन्हे विदाई दी बल्कि अपनी क्षमता के अनुसार उपहार भी दिया। प्रिय गुरु को अपने से दूर जाता देख बच्चे रो पड़े। ग्रामीणों के साथ महिलाएं भी विदाई जुलूस में शामिल हुई और मंगलगीत गाते हुए गांव के सीवान तक छोड़ा।
गाजीपुर जिले के बभनौली गांव के रहने वाले युवा अवनीश यादव वर्ष 2009 में गौरीबाजार के पिपरा धन्नी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर तैनात हुए। उस समय इस स्कूल की शैक्षिक दशा बदहाल थी। अभिभाकों की उदासीनता के चलते नामांकन लेकर बच्चे स्कूल नहीं आते थे। इसके लिए अवनीश ने अभिभावकों से संपर्क किया तो पता चला गांव में मजदूर वर्ग के लोग अधिक हैं। उनसे पढ़ाई के महत्व पर बात की तो गहरा असर हुआ। बच्चों को रोज स्कूल भेजने व अभिभावकों से स्कूल की कमियों को बताने के लिए कहा। एक शिक्षक की कड़ी मेहनत देख लोग बच्चों से काम कराने की बजाय उन्हें स्कूल भेजने लगे। शैक्षिक स्तर में सुधार होने पर वर्ष 2013 में अवनीश की पदोन्नती कर उसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक बना दिया गया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 2014-15 में अवनीश को आदर्श शिक्षक पुरस्कार से नवाजा। वर्ष 2015 में विभाग ने इन्हे जिला स्तरीय खेल प्रशिक्षक पुरस्कार प्रदान किया। पिछले दिनों इस शिक्षक के गृह जनपद गाजीपुर में तबाले की बात पता चली तो ग्रामीण भावुक हो उठे। विदाई देते वक्त बच्चे,अभिभावक रो पड़े। महिलाएं गीत गाती हुई गांव के सिवान तक छोड़ने गई।
ऐसे शिक्षक हों तो बदल जाएंगे हालात
पिपराधन्नी गांव की प्रधान ऊषा देवी का कहना है कि ऐसे शिक्षक हों तो हालात बदल जाएंगे। पूर्व प्रधान कमलेश मौर्य , ग्रामीण रघुराई, मोतीलाल,जयप्रकाश वर्मा का कहना है अवनीश यादव बच्चों के साथ अभिभावकों के भी सुख दुख पूछते रहते थे। मेहनत से पढ़ाते थे। बच्चे तेजी से सीख रहे थे। काश! हर सरकारी स्कूल के शिक्षक ऐसे होते तो निजी स्कूल शोषण नहीं कर पाते।
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