हाथरस : कुछ वर्षो से कान्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के बस्ते का वजन बढ़ता ही जा रहा है। तमाम कान्वेंट स्कूल संचालक अपनी मनमानी करके बच्चों के बचपन के संग खिलवाड़ कर रहे हैं। कमीशन का खेल मासूम के कंधे सह नहीं पा रहे हैं।1सीबीएसई के निर्देश : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिशद ने कान्वेंट स्कूलों को निर्देश दे रखे हैं कि एनसीईआरटी की किताबें ही लगाए जाएं। 1क्या है बस्ते की स्थिति : कान्वेंट स्कूलों में एलकेजी और यूकेजी की बात करें तो करीब आठ किताबें इन कक्षाओं में होती हैं। कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की 12 किताबें होती हैं। निर्धारित किताबों के अलावा भी बच्चों को कई अतिरिक्त किताबें पढ़नी पड़ रही है। इसके अलावा बच्चों के बस्ते में लंच बॉक्स, कॉपियां आदि भी होती हैं। जिस कारण बस्तों का वजन अधिक हो जाता है। 1कमीशन का खेल : जिले में कई ऐसे कान्वेंट स्कूल हैं, जो खानापूर्ति एनसीईआरटी की किताबों की करते हैं। प्राइवेट प्रकाशक की किताबों को स्कूलों में लगाया जाता है। कमीशन के इस खेल में हर साल लाखों रुपये स्कूल संचालकों के स्तर से पैदा किए जाते हैं। किताबें अपने प्रकाशकों के यहां छपवाते हैं और जमकर कमाई करते हैं। अभिभावक चयनित दुकानों से किताबों को खरीदने के मजबूर हो जाते हैं। चयनित दुकानों व शहर में यह किताबें नहीं मिल पाती हैं। 1बुलंद की थी आवाज : यूनिवर्सल ह्यूमन राइटस काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीन वाष्ण्रेय की मानें तो स्कूल संचालक मनमानी करते हैं। हर साल किताबों की संख्या बढ़ा दी जाती है। एनसीईआरटी की किताबों को नहीं लगाया जाता। नवीन सत्र शुरू होने पर इसका विरोध किया गया था। प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा स्कूल संचालकों से संगठन के पदाधिकारियों ने मुलाकात की। अपर जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया था। मगर, कुछ नहीं हो सका।भारी बैग लेकर जाते बच्चे।
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