बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को विद्यालय पहुंचने के बाद बच्चों के साथ सेल्फी खींचकर भेजन के आदेश दिए थे, लेकिन अधिकतर विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने सेल्फी भेजी ही नहीं। बीएसए ने मनमानी और लापरवाही करने वाले 1459 प्रधानाध्यापकों का वेतन रोकने के आदेश किए हैं। इस आदेश के बाद शिक्षकों में खलबली मच गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने और शिक्षकों के समय से विद्यालय पहुंचने को लेकर जिलाधिकारी ने सेल्फी खींचकर भेजने के आदेश दिए थे। इसके लिए शिक्षा विभाग का ग्रुप बना है। प्रधानाध्यापक सही समय विद्यालय पहुंचकर बच्चों के साथ सेल्फी लेकर ग्रुप पर पोस्ट करेंगे। उस पोस्ट के बाद बीआरसी, खंड शिक्षा अधिकारी देखेंगे कि कौन शिक्षक कितने बजे विद्यालय में पहुंचा है। जो शिक्षक लेट होगा, उसके बारे में पता चल जाएगा और विभागीय स्तर से कार्रवाई होगी। इसके अलावा शिक्षकों को मध्याह्न् भोजन और फल वितरण की सेल्फी भी खींचकर भेजनी है। जिससे यह पता चल सके कि मैन्यू के अनुसार भोजन बनाया जा रहा है या नहीं बनाया जा रहा। जिलाधिकारी और बीएसए के आदेश के बाद 900 से अधिक स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने तो फोटो भेजने शुरू कर दिए हैं, लेकिन 1459 प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाध्यापिका ने शुरू नहीं किए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने वित्त एवं लेखाधिकारी को इन प्रधानाध्यापकों का वेतन रोकने के आदेश किए हैं। उन्होंने कहा है कि जब तक यह फोटो नहीं भेजेंगे इनके वेतन जारी न किया जा सके। बीएसए वेदराम ने बताया कि जब तब शिक्षक फोटो नहीं भेजेंगे तब तक व्यवस्था नहीं सुधरेगी। व्यवस्था सुधारने के लिए यह जरूरी है।
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