परिषदीय स्कूलों में शिक्षा के नाम पर खेल चल रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद ने परीक्षा की तिथि घोषित कर दिया है। जिले में जिम्मेदार सारी तैयारी पूरी करने का दावा करके तारीफ भी लूट रहे हैं, लेकिन यहां पढ़ने वाले छात्रों को अभी तक पाठ्य पुस्तकें ही नसीब नहीं हुई हैं। ऐसे में चार लाख विद्यार्थी बिना पढ़े ही परीक्षा देने को मजबूर हैं। जिले में परिषदीय स्कूलों में शिक्षा को मजाक बना रखा है। अधिकारी यहां मन माफिक आदेश देकर व्यवस्था को बेहतर बनाने का दावा कर रहे हैं। छह माह से स्कूलों में पढ़ाई हो रही है। लेकिन छात्रों को अभी तक किताब मुहैया नहीं हो सकी है। बावजूद इसके विभागीय अफसर सारी तैयारी पूरी होने का दावा कर रहे हैं और 15 अक्टूबर से परीक्षा भी कराएंगे। अब बिना पढ़े छात्र क्या लिखेंगे इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। वहीं परीक्षा की तिथि घोषित होने के बाद से छात्र परेशान हैं तो अभिभावक अफसरों के इस आदेश से सकते में हैं। लेकिन इस सबसे अंजान अधिकारी परीक्षा की तैयारी में मशगूल हैं। किताबों की आपूर्ति में संस्थाएं रुचि नहीं ले रही हैं, जिससे छात्र बिना किताबों के ही पढ़ रहे हैं और अब ऐसे ही परीक्षा भी देंगे। इतनी किताबों की है जरूरत : जिले में 3229 प्राइमरी व जूनियर स्कूल हैं। इसमें तीन लाख चालीस हजार छात्र-छात्रएं अध्ययनरत हैं। जिन्हें सर्व शिक्षा अभियान के तहत निशुल्क पुस्तकें मिलनी हैं लेकिन यहां अभी तक केवल 15 प्रतिशत पुस्तकों का ही वितरण किया गया है। जिससे छात्र बिना किताबों के ही पढ़ने को विवश हैं। इसी में परीक्षा लेने की तिथि भी घोषित कर दी गई है जो परेशान कर रहा है। यहां प्राइमरी स्कूलों में 15 लाख 53 हजार 949 व जूनियर में 5 लाख 48 हजार 142 आवश्यकता है। इसके सापेक्ष प्राथमिक में दो लाख 68 हजार 489 व उच्च प्राथमिक में एक लाख 31 हजार 584 पुस्तकों का ही वितरण किया गया है।
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