अब प्रदेश सरकार निजी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को आर्थिक मदद देगी। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में दाखिला पाने वाले गरीब बच्चों को किताबें व ड्रेस खरीदने के लिए प्रदेश सरकार रुपये देगी। एक बच्चे को पांच हजार रुपये सालाना दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इसे मंजूरी देते हुए बजट भी जारी कर दिया है। यह धनराशि संबंधित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराई जाएगी जो कि इसे सीधे छात्र-छात्रओं या उनके अभिभावकों द्वारा खोले गए बैंक खाते में भेजेंगे। कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को सरकार प्रत्येक शैक्षिक सत्र में किताबें व ड्रेस निशुल्क दी जाती है। सरकार की मंशा है कि परिषदीय और सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्र-छात्रओं की तरह शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में दाखिला पाने वाले गरीब बच्चों को भी यह सुविधाएं दी जाएं। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम में प्रावधान है कि निजी स्कूलों को पहली कक्षा की 25 प्रतिशत सीटों पर दुर्लभ और अलाभित समूहों के बच्चों को प्रवेश देना होगा। गरीब बच्चों को दाखिला देने वाले निजी स्कूलों को सरकार शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए प्रति बच्चा 450 रुपये प्रति माह की दर से अनुदान देती है। यदि बच्चे की पढ़ाई पर आने वाला खर्च 450 रुपये से कम होगा तो स्कूल को वास्तविक खर्च के भुगतान की व्यवस्था है। गरीब बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति तो सरकार कर देती है लेकिन ऐसे बच्चों के अभिभावकों को निजी स्कूल के हिसाब से किताब-कॉपियों और ड्रेस की व्यवस्था करने में दिक्कत आती है। उनकी इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने पांच हजार रुपये सालाना देने का निर्णय लिया है।
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