इलाहाबाद : शिक्षा निदेशालय के खास पटल पर वर्ग विशेष के कर्मचारियों का अर्से से कब्जा है। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने लंबे समय से पटलों पर जमे कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया, लेकिन विभागीय अफसर ही उन्हें बनाए रखने पर आमादा हैं। इसकी वजह यह है कि जिस अफसर को उन्हें हटाना है उस पर भी भ्रष्टाचार के तमाम आरोप है। खुद पर आंच न आए इसलिए खास वर्ग वालों को बचाने की पूरी जुगत की जा रही है।
शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ उप्र ने अब साथियों एवं आरोपी अफसर के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। संघ ने ऐसे कर्मचारियों ने पूरी सूची मुख्यमंत्री को भेजी है जो वर्षो से एक ही पटल पर जमे हैं। यही नहीं लखनऊ जिले में अफसरों ने एक शिक्षिका का दूसरे राजकीय कालेज में पद सहित तबादला कर दिया, जबकि पद सहित स्थानांतरण का अधिकार सिर्फ शासन को है। बाद में हंगामा मचने पर पद पुराने कालेज को वापस लौटाया गया। यही नहीं निदेशालय के अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक को मीरजापुर एवं गोरखपुर में संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद पर रहते हुए डीएम एवं सतर्कता अधिष्ठान के अफसरों ने पकड़ा था, लेकिन वह जांचे वरिष्ठ अफसरों ने दबा रखी हैं।
इसी तरह राजकीय इंटर कालेज अलीगढ़ में अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों को मनमाने तरीके से भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य जिलों में भी अवैध शिक्षक विभाग को चूना लगा रहे हैं, लेकिन अफसर इस ओर से आंखें मूंदे हैं। संघ अध्यक्ष रंगनाथ मिश्र एवं अन्य कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से प्रकरणों की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।
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