परिषदीय विद्यालयों में नवनियुक्त अध्यापकों या फिर बेसिक शिक्षा परिषद के आधीन नियुक्त अन्य कर्मियों की पुलिस कुंडली बनाएगी। आपराधिक रिकार्ड का पुलिस सत्यापन कराया जाएगा। इतना ही नहीं उन्हें यह शपथ पत्र देना होगा कि वह पाक्सो अधिनियम 2012 के अंतर्गत अपराधी नहीं हैं। वैसे तो यह नियुक्ति के पूर्व की ही व्यवस्था है, लेकिन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भारत सरकार के सदस्य की तरफ से जारी पत्र पर अब सचिव की तरफ से फरमान जारी किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि जिनकी नियुक्ति हो चुकी उनसे अब प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी फिर जो चयनित होंगे उनसे नियुक्ति के पहले शपथ पत्र लिया जाएगा। विद्यालयों में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन कराया ही जा रहा है। बच्चों से न फीस ली जाती और न ही उन्हें परेशान किया जा सका। उन्हें निशुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था है, शिक्षा का अधिकार अधिनियम अपना काम कर रहा है तो बाल अधिकार संरक्षण आयोग अपना काम कर रहा है। संरक्षण आयोग बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें उनका हक दिलाने का भी काम करता है। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद में भी यह लागू है और उसी के तहत चयनित समस्त अध्यार्थियों के सत्यापन और उनके अपराधी न होने की जानकारी ली जाती है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भारत सरकार नई दिल्ली के सदस्य प्रियंक कानूनगो की तरफ से आठ अगस्त 2016 को जारी पत्र में कहा गया कि सभी चयनित अभ्यर्थियों का नियुक्ति के पूर्व पुलिस सत्यापन कराया जाए। साथ ही सभी चयनित अभ्यर्थियों से नियुक्ति के पूर्व यह शपथ पत्र लिया जाए कि वह पाक्सो अधिनियम 2012 के अंतर्गत अपराधी नहीं हैं। पत्र में कहा गया कि यह आदेश बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत सभी प्रकार की नियुक्तियों पर निर्गत होने की तिथि से प्रभावी होगा। आयोग की तरफ से जारी पत्र पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्गत शासनादेश का पूरी तरह से अनुपालन कराने की बात कही है। हालांकि जिला क्या पूरे प्रदेश काफी संख्या में नियुक्ति हो चुकी हैं पर अभी प्रक्रिया चल रही है। बीएसए मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने बताया कि बाल संरक्षण आयोग के दिशा निर्देश के साथ सचिव का पत्र आया है और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
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