परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण सत्र 2016-17 में अध्ययनरत बच्चों का छठा माह भी खाली हाथ बीत गया। उनके हाथ निशुल्क पुस्तकें नहीं पहुंच सकी। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने को लेकर चल रही तमाम कवायदों को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए तमाम कार्यक्रम व योजनाएं संचालित की जा रही हैं। विद्यालय में गरीब परिवारों के बच्चों को भी कोई दिक्कत न हो नि:शुल्क ड्रेस, मध्याह्न भोजन से लेकर अन्य कार्यक्रमों पर जहां करोड़ों रुपये पानी की तरह खर्च किया जा रहा है। शिक्षकों को समय-समय पर प्रशिक्षण देने से लेकर अन्य गतिविधियां जारी हैं लेकिन शिक्षा के लिए सबसे अहम पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के प्रति बरती जा रही उदासीनता समझ से परे हैं। स्थिति यह है कि शिक्षण सत्र 2016-17 का छठा माह सितंबर भी व्यतीत हो चुका है। छमाही परीक्षा सिर पर आ चुकी है किंतु अभी तक बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकों का वितरण नहीं हो सका है। वैसे पुस्तकों के वितरण के बारे में पुस्तक प्रभारी मूलचंद ने बताया कि पुस्तकें आनी शुरू हो चुकी हैं। कुछ का सत्यापन कर बंटवाया जा चुका है। जो आ रही हैं उनका भी सत्यापन होते ही वितरण शुरू करा दिया जाएगा। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को वितरण के लिए पुस्तकों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। रविवार को 46681 पुस्तकों की खेप ब्लाक संसाधन केंद्र पहुंच चुकी है। प्रभारी मूलचंद ने बताया कि रविवार को कक्षा चार संस्कृत विषय की 21622, कक्षा तीन गिनतारा की 10440 व कक्षा पांच परख विषय की 19619 पुस्तकें निदेशालय स्तर से भेजी गई हैं। सत्यापन के बाद इनकी वितरण कराया जाएगा।
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