परिषदीय विद्यालयों में विद्यार्थियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए भले ही चाहे जितने दावे किए जाएं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मतदेय स्थलों के स्थलीय निरीक्षण में विद्यालयों में पेयजल व्यवस्था की हकीकत सामने आई है। अधिकतर विद्यालयों में लगे हैंडपंप खराब हैं इससे विद्यार्थियों को घर से पानी की बोतल लानी पड़ती है। जिले में संचालित परिषदीय विद्यालयों में पेयजल व्यवस्था के लिए ओवर हेड टैंक और इंडिया मार्का हैंडपंप लगाए हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार सभी विद्यालयों में शुद्ध पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था है। विद्यालयों में विद्यार्थियों को हैंडपंप के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले में संचालित परिषदीय विद्यालयों में विधानसभा चुनाव के मद़्देनजर मतदेय स्थल बनाए जाने हैं। जिसका इन दिनों प्रशासनिक अधिकारी स्थलीय निरीक्षण कर रहे हैं। अधिकारियों के स्थलीय निरीक्षण में विद्यालयों में पेयजल व्यवस्था की हकीकत सामने आई है। जांच में पाया गया कि 262 विद्यालयों में लगाए गए हैंडपंप काफी समय से खराब पड़े हैं। विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पेयजल के लिए भटकना पड़ता है। विद्यालय के विद्यार्थी या तो पानी की बोतल साथ में लेकर आते हैं या पानी पीने के लिए विद्यालय परिसर से बाहर गांव में लगे हैंडपंपों पर दौड़ लगाते हैं। यही नहीं कि विद्यालय परिसर में पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था न होने पर मिडडे मील के तहत पकाए जाने वाले भोजन के लिए रसोइयों को बाहर से पानी लाना होता है। प्रशासनिक अधिकारियों के निरीक्षण के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से अधिशासी अभियंता जल निगम को विद्यालयों में लगे खराब हैंडपंपों को दुरुस्त करने के लिए पत्र लिखा गया है
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