कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में जहां जिला प्रशासन सुविधाएं व संसाधन बढ़ाने की कोशिश में जुटा है, वहीं इन विद्यालयों में अल्पसंख्यक बालिकाओं की कम हाजिरी चिंता का कारण बन गई है। मुस्लिम बालिकाओं की कम संख्या से जिला प्रशासन की पेशानी पर बल हैं। इनकी उपस्थिति बढ़ाने के लिए मुस्लिम उलमा का सहारा लेने का फैसला हुआ है। बीएसए बैठक कर गैरहाजिर बालिकाओं को विद्यालय लाने की कोशिश करेंगे। जिले में कुल 10 विद्यालय हैं, कुल 940 बालिकाएं अध्ययनरत हैं। बीती 23 अक्टूबर को जिलाधिकारी विवेक के निर्देश पर एक साथ सभी कस्तूरबा गांधी विद्यालयों का निरीक्षण किया गया। ये विद्यालय आवासीय हैं। तहसीलदार व उप जिलाधिकारियों ने विद्यालयों की जांच की। बालिकाओं को दी जाने वाली सुविधाओं को घंटों तक खंगाला। इस दौरान अल्पसंख्यक बालिकाओं की तादाद पर नजर गई तो इनकी हाजिरी के आंकड़े चौंकाने वाले मिले। तकरीबन सभी विद्यालयों में अल्पसंख्यक बालिकाओं की हाजिरी कम मिली। जांचकर्ताओं ने इसकी रिपोर्ट डीएम को सौंपी। तभी से बालिकाओं को स्कूल लाने पर मंथन तेज हो गया। ताजा रणनीति में मुस्लिम धर्मगुरुओं का रोल अहम बना दिया गया। बीएसए को निर्देशित किया गया है कि वह इन सभी के साथ बैठक कर गैरहाजिर बच्चियों की हाजिरी सुनिश्चित करें। बीएसए योगेंद्र कुमार ने कहा कि डीएम के निर्देश का अनुपालन किया जाएगा।
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