समाजवादी सरकार के पूरे कार्यकाल में सफेद हाथी बने रहे उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग पर अब चुनाव का साया मंडराने लगा है। आयोग में सदस्यों का अकाल है और इस बीच यदि चुनाव की घोषणा हो जाती है तो सारे कामकाज ठप हो जाएंगे। इससे महाविद्यालयों के असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की 2802 पदों पर भर्तियां प्रभावित होंगी। आयोग ने फिलहाल इस स्थिति से शासन को अवगत करा दिया है और जल्द ही सदस्यों की नियुक्ति किए जाने का अनुरोध किया है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में वर्तमान में दो भर्तियां चल रही हैं। पहली भर्ती 1652 पदों की है जिसमें साक्षात्कार लिए जा रहे हैं। हालांकि इस भर्ती का परिणाम भी घोषित नहीं हो सकेगा क्योंकि आयोग में मात्र एक ही सदस्य हैं। कोरम के अभाव में रिजल्ट घोषित करने का फैसला नहीं लिया जा सकता। विडंबना यह है कि एकमात्र सदस्य डा. रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी का कार्यकाल भी इसी माह समाप्त हो रहा है। उनके जाने के बाद आयोग में सिर्फ अध्यक्ष ही रह जाएंगे और वह खुद में कोई फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं। आयोग ने महाविद्यालयों के असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती का दूसरा विज्ञापन 1150 पदों के लिए जारी किया है। इसमें अभी आवेदन की ही प्रक्रिया हुई है। सदस्यों के न रहने से इसकी लिखित परीक्षा के बारे में कोई निर्णय नहीं हो पाएगा और यह भर्ती अगली सरकार में ही पूरी हो पाएगा। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रभात मित्तल स्वीकार करते हैं कि ऐसी स्थिति में आयोग का कार्य प्रभावित होगा। उन्होंने अपने स्तर से शासन को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया है। यदि सदस्यों की नियुक्ति हो जाएगी तो आयोग चुनाव के दौरान भी भर्तियों का काम जारी रख सकेगा। उल्लेखनीय है कि आयोग पिछले कई सालों से सदस्यों की कमी की समस्या से जूझ रहा है। इससे पहले नियुक्त कई सदस्यों की नियुक्ति हाईकोर्ट से अवैध ठहराई जा चुकी है। तभी से यह समस्या बरकरार है।
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