इलाहाबाद : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नियमित शिक्षकों से ही शोध कराने का नया दिशा निर्देश जारी किया है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों एवं केंद्रीय संस्थानों के कुलपतियों एवं निदेशकों से कहा गया है कि वह एमफिल एवं पीएचडी कराने के लिए नियमित शिक्षकों को ही लगाएं। नए निर्देश से रिटायर शिक्षक शोध नहीं करा पाएंगे।
यूजीसी के पत्र में कहा गया है कि यदि कोई विश्वविद्यालय अथवा संस्थान इस नियम का पालन नहीं करता है तो वह एमफिल, पीएचडी कराने के लिए 2009 में जारी निर्देशों का उल्लंघन होगा। नई व्यवस्था में विश्वविद्यालय अपनी ओर से शोध निर्देशक को नियत संख्या में शोधार्थी आवंटित करेंगे। ऐसा नहीं होना भी 2009 के रेगुलेशन का उल्लंघन माना जाएगा। नई गाइड लाइन प्रभावी होने के बाद विभिन्न विश्वविद्यालयों, कालेजों एवं संस्थानों से अवकाश ग्रहण कर चुके शिक्षकों को शोध निर्देशक बनाने पर सवाल खड़ा हो गया है। वह बतौर रिसर्च गाइड बनकर शोध नहीं करा सकेंगे। यदि कोई रिटायर शिक्षक अपने साथ नए विद्यार्थी को जोड़ेगा तो उसकी डिग्री यूजीसी के रेगुलेशन का उल्लंघन मानी जाएगी।
इलाहाबाद राज्य विवि के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि यूजीसी को इस मामले में पुनर्विचार करना चाहिए। वह कहते हैं कि जब कोई रिटायर प्रोफेसर यूजीसी का इमेरिटस प्रोफेसर हो सकता है अथवा फेलो बनकर किसी प्रोजेक्ट पर अध्ययन कर सकता है तो उसे शोध कराने से रोका नहीं जाना चाहिए।
No comments:
Write comments