वैसे तो शिक्षकों का काम बच्चों को शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारना है पर यहां परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत कई अध्यापक बीएसए और डीआई कार्यालय में लिपिक का कार्य कर रहे हैं। इससे जहां लिपिक नाराज हैं, वहीं विद्यालयों में शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। लिपिकों ने शिक्षकों को वापस विद्यालय भेजने की मांग की है। परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत एक दर्जन से अधिक शिक्षक बीएसए और उप बेसिक शिक्षा कार्यालय में लिपिकों का कार्य कर रहे हैं। वह कई वर्षों से विद्यालय नहीं गए हैं। पटल सहायकों के साथ उनके सहयोगी के रूप में लगे हुए हैं। उनके स्कूल न जाने से जहां शिक्षण कार्य बाधित हो रहा है, वहीं लिपिकों में भी रोष है। हाल यह है कि कई शिक्षकों ने तो विद्यालय से नाता ही तोड़ लिया है। उनका सिर्फ वेतन विद्यालय से जारी किया जा रहा है। इस संबंध में उप्र बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी एसोसिएशन की जनपदीय इकाई की बैठक में आक्रोश व्यक्त किया गया। बीएसए से मांग की गई कि कार्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वापस स्कूल भेजा जाए और जिन लिपिकों के पास कार्य नहीं हैं, उन्हें सौंपा जाए। इस संबंध में बीएसए मसीहुज्ज्मा सिद्दीकी ने बताया कि वह बाहर हैं। आने पर मामले में जांच कर कार्यवाही करेंगे।
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