पूरी तरह से हाईटेक होते युग और स्मार्ट होते शैक्षणिक माहौल के बीच सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कहीं नौनिहालों के लिए टाट-पट्टी, कहीं कक्षाओं में उखड़ी हुई जमीन, कहीं दीवारों में सीलन और कहीं गंदगी के बीच भोजन बनाए जाने की व्यवस्था। इतना ही नहीं, स्कूलों में बने शौचालयों में साफ सफाई का कोई मद नहीं, कहीं-कहीं तो शौचालय ही नहीं हैं। इलाहाबाद के अधिकांश परिषदीय विद्यालयों की कुछ ऐसी ही सूरत है। पूरे जिले में परिषदीय स्कूलों की सूरत बताने के लिए जिला मुख्यालय में स्थित एक स्कूल ही काफी है। लेकिन ऐसे उदाहरण दर्जनों हैं। पीडी टंडन रोड स्थित प्राथमिक स्कूल में नौनिहाल आज भी टाट-पट्टी पर ही बैठकर शिक्षा का ककहरा सीख रहे हैं जबकि ठंडक का मौसम आ गया है। जिस रसोई में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बनता है वहां की दीवारें सीलन भरी हैं, छत में जाले लगे और फर्श पर भी सफाई के माकूल इंतजाम नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि रसोईघर के बगल में पानी भरा रहता है जिसकी निकासी नहीं कराई जाती। इससे कभी कोई दुर्घटना होने की आशंका भी बनी रहती है और भोजन की गुणवत्ता पर भी सवाल उठते हैं। गौरतलब है कि जिला मुख्यालय में शिक्षा विभाग के सभी बड़े अफसरों और प्रशासनिक अफसरों का कार्यालय है इसके बावजूद इस प्रकार के स्कूलों की स्थिति से सभी की बेफिक्री है।
नगरक्षेत्र में दर्जनों स्कूल चल रहे एकल : नगर क्षेत्र में दर्जनों स्कूल एकल चल रहे हैं। जबकि विभागीय नियम शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में रोड़ा बने हुए हैं।
शासनादेश जारी नहीं होने से नगर क्षेत्र के दर्जनों स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इन शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई, मिड डे मील पर पूरा ध्यान रखने सहित विभागीय लिखापढ़ी और अन्य सरकारी कामकाज भी करने पड़ते हैं
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