डेढ़ साल बाद भी परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के गिलास दूध से नहीं भर पाए। आज भी बच्चे हर बुधवार को मध्याह्न् भोजन के दौरान दूध का इंतजार करते हैं, लेकिन प्रधानाध्यापक, ग्राम प्रधान या पार्षद तहरी से ही काम चला लेते हैं। अब सरकार माह में एक दिन गुलाब जामुन देने की तैयारी कर रही है। देखना है कि बच्चों का मुंह मीठा हो पाता है या कागजों में ही मिठाई बंटती है।
सरकार बच्चों और उनके अभिभावकों को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। निश्शुल्क पढ़ाई, किताब, ड्रेस, मध्याह्न् भोजन, दूध, फल, थाली- गिलास और बैग के बाद अब गुलाब जामुन। सोमवार को मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि माह में एक दिन बच्चों को गुलाब जामुन भी दिया जाए। सवाल यह है कि क्या सरकार की यह योजना भी प्रत्येक बच्चों तक पहुंच पाएगी।
15 जुलाई 2015 से प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न् भोजन के दौरान 200 मिली लीटर गर्म दूध देने की शुरुआत हुई। प्रधानाध्यापक और ग्राम प्रधानों ने हाथ खड़े कर दिए। छह माह तक योजना फाइलों से नहीं निकली, तो सरकार ने दूध की मात्र को घटाकर 150 मिली लीटर कर दिया। साथ ही कनवर्जन कास्ट (मध्याह्न् भोजन के लिए दिया जाने वाला धन) भी बढ़ा दिया। इसके बाद भी योजना ने गति नहीं पकड़ी। ग्रामीण तो दूर शहर के छात्रों को दूध नहीं मिल रहा। रावत पाठशाला और हजारीपुर आदि विद्यालयों में उदासीनता जारी है। पिछले पखवारे विद्यालयों की औचक जांच में दूध वितरण व्यवस्था की पोल खुल गई। जांच अधिकारियों ने दस ग्राम प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार मध्याह्न् भोजन में लापरवाही बरतने वाले 213 अध्यापक और 14 एबीआरसी का वेतन रोका जा चुका है। एक एनपीआरसी और सात अध्यापक निलंबित किए जा चुके हैं। अब तो खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भी वेतन रोकने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इसके बाद भी नतीजा ढाक के वही तीन पात। फल वितरण में भी उदासीनता है। सरकार प्रति छात्र चार रुपये प्रदान करती है, लेकिन सिर्फ खानापूरी ही होती है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री श्रीधर मिश्र कहते हैं कि सरकार विद्यालयों को शिक्षा का मंदिर ही रहने दे। समय से किताबें तो उपलब्ध कराते नहीं, मिठाई खिलाने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार सभी बच्चों को बैग तक मुहैया नहीं करा पा रही। मध्याह्न् भोजन योजना के जिला समन्वयक दीपक पटेल कहते हैं कि फल का वितरण तो 100 फीसद सुनिश्चित हो रहा है।
80 फीसद बच्चों के गिलास तक दूध पहुंचने लगा है। निगरानी बढ़ा दी गई है। खंड शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी जा रही है। लापरवाही और उदासीनता पर कार्रवाई भी हो रही है। गुलाब जामुन देने की कोई सूचना नहीं है, अगर निर्देश मिला तो इसका भी वितरण सुनिश्चित कराया जाएगा। जनपद के 3248 विद्यालयों के दो लाख 44 हजार प्राथमिक व एक लाख सात हजार उच्च प्राथमिक छात्रों को अनिवार्य रूप से मध्याह्न् भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
परिषदीय शिक्षा दूध, फल, थाली-गिलास और बैग के बाद गुलाब जामुन देने की तैयारी डेढ़ साल बाद भी सभी बच्चों के गिलास तक नहीं पहुंच सका दूध
No comments:
Write comments