गुरुवार को दोपहर एक बजे। राजकीय कन्या दीक्षा विद्यालय जूनियर हाईस्कूल, नार्मल कैंपस की छात्रएं ठंड से ठिठुर रही थीं। कुछ के शरीर पर स्वेटर था, तो कुछ सिर्फ ड्रेस पहनकर ही विद्यालय पहुंच गई थीं। कक्षा में गिनती की कुछ छात्रएं जमीन पर बिछी टाट पर बैठकर पढ़ रही थीं। टूटी खिड़कियों से ठंड झांक रही थी। सर्द हवाएं छात्रओं में सिहरन पैदा कर रही थीं।
यह तो सिर्फ एक नजीर है। परिषदीय विद्यालयों में बच्चे ही नहीं शिक्षक भी ठिठुर रहे हैं। पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है। महानगर स्थित विद्यालय के अधिकतर जर्जर भवनों में न खिड़कियां सही हैं और न दरवाजे दुरुस्त।
बैठने के लिए टेबल तक नहीं हैं। जमीन पर बैठकर पढ़ना मजबूरी है। राजकीय कन्या दीक्षा विद्यालय की प्रधानाध्यापक उर्मिला शुक्ला कहती हैं कि बच्चे ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। ठंड के मारे नामांकन के सापेक्ष बच्चे भी स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। वह कहती हैं कि इसके लिए विभाग से कई बार वार्ता की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों की स्थिति तो और भयावह है। बच्चे ड्रेस पहनकर ही स्कूल पहुंच जा रहे हैं। उन्हें देख शिक्षक भी सहम जा रहे कि कहीं ठंड के चलते उनकी तबीयत न खराब हो जाए। भटहट स्थित प्राथमिक विद्यालय बनचरा के बच्चे तो खुले आसमान में ही पढ़ाई कर रहे थे। सरकार ने छात्रों को ड्रेस तो उपलब्ध करा दिया है, लेकिन ठंड के कपड़ों की कोई व्यवस्था नहीं है। पिपराइच स्थित प्राथमिक विद्यालय चनगहीं की प्रधानाध्यापक किरन ने सिर्फ ड्रेस में पहुंचने वाले छात्रों को स्वेटर प्रदान किया। उन्होंने पिछली साल सभी छात्रों को स्वेटर प्रदान किया था। ठंड को देखते हुए महानगर के पीएसी कैंप स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक स्वर्णलता मल्ल और शिक्षकों की टीम ने समस्त छात्रों के लिए स्वेटर की व्यवस्था की। इसके बाद भी विभाग मौन है। अधिकारी भी नोटिस नहीं ले रहे। यह तब है जब अधिकतर कान्वेंट विद्यालय बंद चल रहे हैं। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश यादव कहते हैं कि ठंड बढ़ गई है। इसको देखते हुए सुबह 10 से तीसरे पहर तीन बजे तक स्कूल संचलन के लिए निर्देश जारी कर दिया गया है। ठंड, विद्यालय और बच्चों पर विभाग की लगातार नजर बनी हुई है।राजकीय कन्या दीक्षा विद्यालय जूनियर हाईस्कूल में पढ़ते बच्चे।
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