परिषदीय स्कूल हो, मान्यता प्राप्त विद्यालय या फिर मदरसे। बच्चों का शैक्षिक स्तर लगातार गिरता चला जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार इसके कारण तलाशने जा रही है। इसके लिए सूबे के सात लाख बच्चों का टेस्ट लिया जाएगा और उसके बाद उन्हीं की इच्छानुरूप पाठ्यक्रम का निर्धारण होगा। बरेली में इसकी शुरूआत हो चुकी है।
यह है योजना
सरकार स्टेट लेवल एचीवमेंट सर्वे कराने जा रही है। इस सर्वे का जिम्मा राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद यानी एससीइआरटी को दिया गया है। परिषद ने यह काम जिला स्तर पर सभी डायट को सौंपा है। सर्वे में हर जनपद के हर ब्लाक से एक कक्षा के 1700 बच्चों का टेस्ट लिया जाएगा। यह काम डायट के प्रशिक्षु शिक्षक करेंगे। टेस्ट की कॉपियां मूल्यांकन के लिए एससीइआरटी को जाएंगी। वहां से जो परिणाम निकलेंगे उसके मुताबिक सरकार कक्षा एक से आठ तक का पाठ्यक्रम निर्धारित करेगी। यह सर्वे इसी शिक्षा सत्र में पूरा किया जाना है।
चार ब्लॉकों में हुआ सर्वे : बरेली के चार ब्लाकों में 10500 बच्चों का टेस्ट लिया गया है। इसमें बहेड़ी, भुता, बिथरी चैनपुर व भोजीपुरा शामिल हैं। कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थी इसमें शामिल किए गए हैं। यह बच्चे परिषदीय विद्यालयों के अलावा मान्यता प्राप्त, नगर निगम व नगर पालिकाओं के विद्यालय, कस्तूरबा स्कूल, मदरसों के हैं। टीम स्कूलों में जाकर उन बच्चों को टेस्ट में शामिल कर रही है जो बच्चे पढ़ने-लिखने में पीछे हैं और कुछ होशियार हैं। कक्षा एक व दो में हंिदूी, गणित व अंग्रेजी, कक्षा तीन में इन विषयों के अलावा पर्यावरण अध्यक्ष व कक्षा चार व पांच में इनके अलावा सामाजिक विज्ञान व विज्ञान विषय का अलग-अलग टेस्ट लिया जा रहा है। डायट प्रवक्ता प्रमोद ने बताया कि दूसरे चरण में कक्षा छह से आठ तक के बच्चे शामिल होंगे। छह से आठ दिसंबर तक इन कक्षाओं के बच्चों का टेस्ट लिया जाएगा। इसके बाद अन्य ब्लाकों के बच्चों को सर्वे में शामिल किया जाएगा।
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