सरकारी विद्यालयों में बेहतर संचालन और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) की सक्रिय भागीदारी की जरूरत है। एसएमसी में शामिल अभिभावक पढ़े लिखे नहीं होते हैं। इससे उन्हें अपने अधिकारों का पता नहीं चल पाता। प्रबंधन समिति के पास अधिकारों की भी कमी है। यह बात निजी संस्था के सह संयोजक विनोद सिंहा ने पर्यटन भवन में आयोजित विद्यालय प्रबंधन समितियों के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में कही।
विनोद सिन्हा ने बताया कि विद्यालय प्रबंधन समितियों के पास अधिकारों की कमी है। केवल उन्हें कर्तव्यों के बारे में बता दिया गया, अधिकार नहीं दिए गए हैं। इससे ताकत का दुरुपयोग होता है। वहीं अधिकतर जिला विद्यालयों में बालिकाओं के लिए सक्रिय शौचालयों की कमी है। इसके लिए नीतिगत बदलाव की जरूरत है।
फोरम उठाएगी मुद्दे : संस्था के सह संयोजक प्रशांत प्रकाश ने बताया कि एसएमसी सदस्यों को जिम्मेदारियों के लिए प्रशिक्षण देने की जरूरत है। इसके लिए राज्य स्तरीय फोरम गठित किया जा रहा है, जो अपने मुद्दे उठाएगी। शिक्षा विभाग को एसएमसी को सिखाने के लिए एक्सपर्ट विजिट भी करवानी चाहिए। निजी संस्था के क्षेत्रीय प्रबंधक नंद किशोर सिंह ने बताया कि एसएमसी के सशक्त संगठन की जरूरत है। सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक जीएस प्रियदर्शी ने कहा कि निश्शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल प्रबंधन समिति के गठन में सामुदायिक भागीदारी जरूरी है। शिक्षा विभाग ने जनपद माड्यूल को संशोधित करने के सुझाव दिए गए हैं। एसएमसी में सक्रिय प्रयासों को सराहते हुए फोरम का राज्य बनाना सराहनीय कदम है। कार्यक्रम स्कोर संस्था की ओर से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में संस्था के क्षेत्रीय प्रबंधक नंद किशोर, प्रशांत प्रकाश, एसएमसी राज्य स्तरीय फोरम के नागेंद्र मौजूद रहे।
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