नए साल में शिक्षा को पंख लगने की पूरी उम्मीद है। कारण, सर्व शिक्षा अभियान के तहत साल में 40 से 42 करोड़ रुपये मिलते है, लेकिन इस बार यह बजट बढ़कर 50 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इस रकम को शिक्षकों के वेतन, पाठ्य पुस्तक, मिड डे मील, बालिका शिक्षा योजना, दिव्यांग बच्चों की शिक्षा आदि पर खर्च किया जाता है। इसके अलावा जागरूकता पर भी अधिक रकम खर्च होगी। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत हर साल 11 से 14 करोड़ रुपये तक मिलते हैं। यह रकम जूनियर हाईस्कूलों को उच्चीकृत करने, अतिरिक्त कक्षों का निर्माण, मानदेय पर रखे गए लोगों का भुगतान, आश्रम पद्धति विद्यालयों का संचालन आदि पर खर्च होती है। इसमें भी दस फीसद तक का इजाफा होने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार ने स्थानीय स्तर पर चलाए जाने वाली योजनाओं के बजट बनाने के लिए कहा है। बेसिक शिक्षा विभाग इस पर जनवरी में काम करेगा। यहां से खाका तैयार होने के बाद प्रांतीय स्तर पर इसका प्रस्तुतिकरण होगा। उसके बाद भारत सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा।
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