हर साल सरकार दावा करती है कि सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, लेकिन यह दावा भी खोखला निकला। आठ माह के बाद अब जाकर स्कूलों को किताबें मिली हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों के दूरस्थ स्कूलों को तो अभी तक किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। कक्षा एक में एक किताब कलरव होती है। कक्षा दो में कलरव, गिनतारा पुस्तक व कक्षा तीन में कलरव व गिनतारा के अलावा हमारा सामाजिक, विज्ञान, रेनबो, कक्षा चार व पांच में भी किताबों के यही नाम हैं। यह इसी माह में किताबें विभाग को मिली हैं जो बीआरसी के जरिये भिजवाई जा रही हैं। सूत्रों का कहना है कि तमाम विद्यालयों में बिना किताबों के ही अर्धवार्षिक परीक्षाएं हो गई हैं। अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई की चिंता सता रही है। हालांकि अब जाकर कुछ पढ़ाई विद्यालयों में शुरू की गई है, लेकिन विभाग के अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। निरीक्षण के नाम पर वह भी कागजों का पेट भरते हैं जबकि परिषदीय विद्यालयों में चार लाख से अधिक बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। अफसरों को उनके भविष्य की चिंता करनी चाहिए।
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