बड़े और छोटे शहरों हालात एक जैसे मेट्रो और गैर मेट्रो शहरों की स्थिति समान है। सिर्फ बीएमआइ (बड़े शहरों में 66 और छोटे शहरों में 65 फीसद) के मामले में मामूली अंतर देखने को मिला। वर्ष 2015 के 20 प्रतिशत की तुलना में 2016 में 33 फीसद छात्रों का बीएमआइ निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं मिला। इस मामले में सभी पांच क्षेत्रों (मध्य, पूर्व, उत्तरी, दक्षिण और पश्चित) के स्कूली छात्रों की स्थिति गड़बड़ पाई गई। नियमित शारीरिक गतिविधि कराने वाले स्कूलों के छात्र ज्यादा स्वस्थ पाए गए हैं। एजुस्पोर्ट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौमिल मजूमदार ने बताया कि शारीरिक गतिविधि के अभाव के चलते आगे चलकर ऐसे छात्रों में मोटापा के अलावा अन्य तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां सामने आती हैं। खेलकूद का आयोजन कराने वाले स्कूलों के छात्रों का पढ़ाई में प्रदर्शन बेहतर होने की बात भी सामने आई है।
मुंबई ’ प्रेट्र : भारत की भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य बेहतर होने के बजाय लगातार गिरता जा रहा है। देश भर के स्कूलों में कराए गए अध्ययन में हकीकत सामने आई है। हर तीसरे छात्र का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) मानक के अनुरूप नहीं है। संतुलित बीएमआइ में व्यक्ति का वजन लंबाई के अनुसार होता है। इसमें गड़बड़ी होने पर मोटापा के साथ अन्य तरह की समस्याएं सामने आती हैं। भविष्य में इसके चलते ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। एजुस्पोर्ट्स द्वारा कराए गए सातवें वार्षिक स्कूली स्वास्थ्य एवं तंदरुस्ती अध्ययन-2016 में यह बात सामने आई है। सर्वेक्षण 26 राज्यों के 86 शहरों में स्थित 326 स्कूलों में कराया गया। इसमें सात से 17 वर्ष आयुवर्ग के 1,69,932 छात्रों को शामिल किया गया था। तेज दौड़ लगाने की क्षमता, शरीर का लचीलापन, शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से की मजबूती और बीएमआइ जैसे मानक निर्धारित किए गए थे। बीएमआइ के मामले में छात्रओं (69 फीसद) की स्थिति छात्रों (62 प्रतिशत) की तुलना में बेहतर पाई गई। शारीरिक लोच के मामले में 51 फीसद लड़कियां मानक के अनुरूप थीं, जबकि लड़कों के मामले में यह आंकड़ा 45 प्रतिशत ही रहा। शारीरिक मजबूती के मामले में छात्रों की स्थिति छात्रओं से बेहतर है। तेज दौड़ लगाने में दोनों समान पाए गए।
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