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Thursday, January 26, 2017

इलाहाबाद : सपनों में जान हौसलों से उड़ान, सज्जा ऐसी कि अवाक हो जाते हैं लोग, सरिता दुबे ने अपने बलबूते पूरी ईमानदारी से कर्तव्यनिष्ठ रहकर स्कूल का स्वरूप बदला, विद्यार्थियों का हो रहा सर्वागीण विकास

सुसज्जित कक्ष, हरा-भरा गार्डन, स्वच्छ एवं आधुनिक वॉशरूम, लॉन, चाहरदीवारी। कक्षों के अंदर ज्ञानवर्धक पोस्टर, संगीतमय प्रार्थना, नियमित व्यायाम। साफ-सुथरी रसोईघर, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, अग्निशमन यंत्र, कचरा पात्र और स्कूल की बाहरी दीवारों पर शिक्षाप्रद विचार। प्राथमिक विद्यालय बिसुनदास का पुरा की इन दिनों कुछ ऐसी ही तस्वीर है। बच्चे दिन प्रतिदिन बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। नियमित स्कूल आने पर उन्हें बैज देकर प्रोत्साहित किया जाता है तो सर्वोच्च अंक लाने वालों को स्टार ऑफ द मंथ एवं स्टार ऑफ द ईयर केखिताब दिए जाते हैं।

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यह लाइनें सोरांव ब्लाक के प्राथमिक स्कूल बिसुनदास का पुरा की प्रधानाध्यापिका सरिता दुबे पर सटीक बैठती हैं। सरिता दुबे गांव को कर्मस्थली और स्कूल को घर का दर्जा देते हुए शिक्षक का असल दायित्व निभा रही हैं। सरिता दुबे ने अपने बलबूते पूरी ईमानदारी से कर्तव्यनिष्ठ रहकर स्कूल का स्वरूप ही बदल दिया है। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि जब वह मार्च 2012 में स्कूल पहुंचीं तो बच्चे पढ़ाई पर कम खेलकूद पर ज्यादा ध्यान देते थे। विद्यार्थी अक्सर स्कूल नहीं आते थे। इस पर उन्होंने बिसुनदास का पुरा, जगदीशपुर पूरे चंदा, व जैतवारी डीह में अभिभावकों से अपने बच्चों को स्कूल भेजने की अपील की। अभिभावकों ने रूचि नहीं ली लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अभिभावकों से लगातार संपर्क बनाए रखा। सर्वप्रथम उन्होंने गणित, विज्ञान व अंग्रेजी विषय पर फोकस किया। साथ ही सहयोगी शिक्षिकाओं से भी मेहनत करने की अपील की। बेहतर पढ़ाई कराने का परिणाम यह निकला कि जो बच्चे वहां पर पढ़ रहे थे उनकी पकड़ विषयों पर गांव के अन्य बच्चों से बेहतर होने लगी। जब बच्चों ने विषय से इतर भी ज्ञान की बातें आसपास करनी शुरू की तो गावों में पढ़ाई की गूंज फैलने लगी। अन्य अभिभावकों ने भी सरिता दुबे वाले स्कूल में बच्चों का प्रवेश कराना शुरू कर दिया। 1कक्षा एक के विद्यार्थी आदर्श, खुशबू, आयुष, प्रिंस व कृष्णा अंग्रेजी पोयम ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार फर्राटे से बोलते व जोड़ घटाना के प्रश्न हल कर लेते हैं। कक्षा दो के विद्यार्थी मानुष, विनीत, नितिन, प्रिया, साक्षी व शिल्पी पार्ट ऑफ बाडी, फलों व सब्जियों के नाम बता लेते हैं। इसके अलावा कक्षा तीन के विद्यार्थी विशाल यादव, शिवांसी चौहान, धीरज यादव, सूरज, राधिका व खुशी सौर मंडल, ग्रह, इंग्लिश स्पीकिंग, विज्ञान के सवालों ठोस व द्रव्य गैस के बारे में धड़ाधड़ बताते हैं। वहीं, कक्षा चार के विद्यार्थी गणित के प्रश्न लघुतम, महत्तम, दशमलव का मान, प्रतिशत के सवालों को चुटकी में हल कर देते हैं। साथ ही अंग्रेजी को बेहतर तरीके से पढ़ लेते हैं। कक्षा पांच के विद्यार्थी शंकर यादव, महेंद्र यादव, अनामिका यादव, साक्षी, लक्ष्मी चौहान, आंचल भारतीया ट्रांसलेशन, प्रतिशत, भिन्न के सवाल देखते ही देखते हल कर देते हैं। यहां पर बच्चों की 85 प्रतिशत उपस्थिति प्रतिदिन रहती है।

प्रधानाध्यापिका सरिता दुबे बताती हैं कि जब उन्होंने तीन मार्च 2012 को ज्वाइन किया था तब बच्चों की संख्या 136 थी। बेहतर व्यवस्था को देख अब यहां कक्षा एक से पांच तक बच्चों की संख्या 215 हो गई है। सहायक शिक्षिकाएं अरुणा यादव, नीलम यादव व अर्चना ने भी काफी मेहनत की। अब यह स्कूल पूरे जिले के लिए एक मॉडल की तरह उभरा है। सरिता कहती हैं कोई भी व्यक्ति बच्चों से विषय या जीएस से संबंधित प्रश्न पूछ सकता है।

उप बेसिक शिक्षा अधिकारी अजरुन सिंह व सोरांव खंड शिक्षा अधिकारी संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि बिसुनदास का पुरा प्राथमिक स्कूल शिक्षा विभाग के लिए नजीर है।

राज्य सरकार कर चुकी है पुरस्कृत गुणवत्ता परक शिक्षा व बेहतर स्कूल प्रबंधन के लिए बिसुन दास का पुरा प्राथमिक स्कूल जिले में मॉडल स्कूल के रूप में चयनित हो चुका है। शिक्षामंत्री अहमद हसन ने शैक्षिक सत्र 2015- 16 में पांच सितंबर को बेहतर शिक्षा के लिए 1.20 लाख का चेक प्रधानाध्यापिका सरिता दुबे को लखनऊ में दिया था। यहां पर विद्यार्थी टाट पट्टी पर न बैठकर बेंच पर पढ़ाई करते हैं। बच्चों को खेलने के लिए बैट बॉल, बैडमिंटन, हैंडबाल व फुटबाल दिए जाते हैं। सात जुलाई 2016 को जिले स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में इस स्कूल की छात्र अनामिका यादव ने प्रथम स्थान हासिल किया था। इस पर जिलाधिकारी संजय कुमार ने उसे पुरस्कृत किया था।

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