परिषदीय विद्यालयों का नाम जेहन पर आते ही अजीब सी तस्वीर आ जाती थी। हालांकि जो विद्यालयों की दशा वह किसी से छिपी नहीं हुई है, लेकिन कुछ जाग्रत शिक्षक-शिक्षिकाओं ने विद्यालयों को सुधारा भी और उन्हें प्रदेश स्तर पर पहुंचाया।
ऐसे ही विद्यालयों को प्रोत्साहन करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान में योजना चलाई गई थी और जिले से विशेष उल्लेखनीय कार्य करने वाले 10 विद्यालयों की प्रोफाइल मांगी गई थी, लेकिन यह सब लापरवाही की भेंट चढ़ गया। इसका परिणाम यह हुआ कि जिले को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिल सका।
परिषदीय विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और संसाधन मुहैया कराने के लिए सर्व शिक्षा अभियान में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। शिक्षक-शिक्षिकाओं की तैनाती हो चुकी तो विद्यालयों में संसाधन भी पूरे हो गए। हालांकि कुछ विद्यालयों में लापरवाही के चलते योजनाओं का कोई असर नहीं दिख रहा है।
दूसरी तरफ जिले में ऐसे भी बहुत से विद्यालय हैं जो कि माडर्न हो गए हैं। इन विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपनी लगन और मेहनत के बल पर विद्यालयों का नाम ऊंचा किया है। ऐसे ही विद्यालयों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य परियोजना निदेशालय सर्व शिक्षा अभियान की तरफ से 10 विद्यालयों की प्रोफाइल मांगी गई थी, जिसमें विद्यालय का नाम, ब्लाक, कार्यरत अध्यापकों की संख्या, भौतिक परिप्रेक्ष्य, चहारदीवारी, शौचालय आदि का विवरण मांगा गया था।1 विभागीय जानकारों के अनुसार यह आदेश पूरी तरह से लापरवाही का शिकार हुआ और परियोजना को कोई जानकारी नहीं भेजी गई। ऐसे में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को कोई लाभ नहीं मिल सका।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी का कहना है कि पूर्व में जो सूचना मांगी गई थी वह भेजी गई थी विद्यालयों की मांगी गई प्रोफाइल के संबंध में वह जानकारी लेकर आगे की कार्यवाही करेंगे
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