बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकार ने गांव-गांव परिषदीय स्कूलों की स्थापना की है। इसमें अध्यापकों की तैनाती की गई है। विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए उपस्थिति अभियान चलाया गया। नामांकन संख्या बढ़ी लेकिन नौनिहालों को पढ़ाने के लिए शिक्षक स्कूल ही नहीं जा रहे। इसका खुलासा सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक से लेकर बीईओ तक के औचक निरीक्षण में हो चुका है।
स्कूलों की पड़ताल में अध्यापक गायब मिले। इसको लेकर बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। इसको देखते हुए बीएसए ने एबीआरसी व एनपीआरसी के कार्यो का सत्यापन कराने की व्यवस्था बनाई है। क्रास चेकिंग के जरिए इनकी कार्यप्रणाली की जांच की जाएगी।
परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों के लिए सरकार प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक खर्च कर रही है। इसे बेहतर बनाने के लिए लैब से लेकर कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है लेकिन पढ़ाने के लिए स्कूलों में शिक्षक जा ही नहीं रहे हैं। इनकी निगरानी के लिए बीआरसी पर समन्वयकों की तैनाती है।
न्याय पंचायत स्तर पर एनपीआरसी नियुक्त किए गए हैं लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। विभाग के जिम्मेदारों के निरीक्षण में अनुपस्थित अध्यापकों का वेतन काटा जा रहा है लेकिन यह किसकी शह पर हो रहा है इसकी भी जांच कराई जाएगी। कई स्कूलों में एबीआरसी व एनपीआरसी की संलिप्तता सामने आ रही है। इसको देखते हुए अब इनके कार्यों का सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए क्रास चेकिंग की तैयारी की जा रही है
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