शिक्षक जिसे युग निर्माता भी कहा जाता है। इन्हीं युग निर्माताओं ने मन चाहे विद्यालय में तैनाती पाने के लिए वह सब किया। जो इन्हें नहीं करना चाहिए था। बाबूओं ने अधिकारियों से साठ गांठ कर शिक्षकों के तबादले में नोटों का ऐसा खेल खेला कि कई मालामाल हो गए। जिले में अधिसूचना जारी होने के एक दिन पहले हुए स्थानांतरण की आड़ में अधिसूचना जारी होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया गया।
लंबे समय के बाद जिले में बीती तीन जनवरी को एकाएक एक 199 शिक्षकों का तबादले की सूची जारी होने से शिक्षकों में हड़कंप मच गया। बताना मुनासिब होगा कि चार जनवरी को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी। जिसके बाद से कोई तबादला नहीं किया जा सकता है। किंतु बीएसए कार्यालय में ये बातें मायने नहीं रखती। यहां पर पैसे के सामने कोई भी नियम कानून नहीं चलता है। तभी तो अधिसूचना के बाद भी तबादले का खेल जारी है। विभागीय सूत्रों की माने तो तबादले की चाह में आने वाले प्रत्येक शिक्षक से 50 हजार रुपये बतौर नजराना वसूला गया है। जिसके बाद उनका तबादला मनचाहे विद्यालय में कर दिया गया। सूत्रों की माने तो अधिसूचना से पहले हुए तबादले की आड़ में विभागीय बाबूओं व अधिकारियों की साठ गांठ से डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षकों को मनचाहे विद्यालयों के लिए स्थानांतरित किया गया है। इस बाबत बीएसए राजकुमार पंडित ने कहा कि बैक डेट में किसी भी शिक्षक का तबादला आदेश मेरे संज्ञान में नहीं जारी हुआ है।
पैसे के बदले शिक्षकों को मिल रहा चुनिंदा विद्यालयआदर्श चुनाव संहिता लागू होने के बाद किसी का भी तबादला नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा हुआ है तो यह गंभीर मामला है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से मामले में बात कर कार्रवाई की जाएगी।1 -चंद्रकांत पांडेय डीएम, अमेठी
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