यूपी बोर्ड की परीक्षा करीब है। इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। लेकिन शिक्षक बीते साल की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का पारिश्रमिक न मिलने का मुद्दा उठा रहे हैं। पैसा न मिलने पर उन्होंने खुद को बोर्ड परीक्षा से जुड़े कार्यो से अलग करने की चेतावनी दी है। अगर ऐसा हुआ तो बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था चरमरा सकती है। यूपी बोर्ड परीक्षा की कापियों के मूल्यांकन में वर्ष 2016 में करीब पांच हजार शिक्षक लगे थे। इसमें करीब 1900 शिक्षकों को अभी पारिश्रमिक नहीं मिला। हाईस्कूल में आठ और इंटर में 10 रुपये प्रति कापी मूल्यांकन शुल्क शिक्षक के बैंक एकाउंट में जाना चाहिए। मूल्यांकन का पारिश्रमिक सीधे शिक्षकों के खाते में भेजने के लिए उनका खाता संख्या भी लिया गया था लेकिन अभी भुगतान नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ‘शर्मा गुट’ के प्रांतीय सदस्य डॉ. शैलेश पांडेय का कहना है कि अध्यापक अपना अधिकार मांग रहा है। ऐसे में आगे ‘दाम नहीं तो काम नहीं’ नीति पर चलेंगे। कहा कि शिक्षकों का बकाया पारिश्रमिक न मिलने के पीछे अधिकारियों की लापरवाही है। अगर बोर्ड परीक्षा के पहले सबके खाते में पैसा न आया तो हम आगे का काम नहीं करेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश महामंत्री ऋषिदेव त्रिपाठी का कहना है कि पारिश्रमिक को लेकर बोर्ड सचिव व डीआइओएस से कई बार वार्ता की गई, लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला।जिन शिक्षकों को पैसा नहीं मिला है वह डीआइओएस कार्यालय में संपर्क करके अपना ब्योरा दें। खाता संख्या मिलते ही पैसा ट्रांसफर करा दिया जाएगा। 1-कोमल यादव, जिला विद्यालय निरीक्षक
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