बीकेटी के आधा दर्जन स्कूलों में नहीं बंट रहा खाना
लखनऊ। बख्शी का तालाब क्षेत्र स्थित प्राथमिक विद्यालय रजौली, भुलभुलपुर, रसूलपुर सादात समेत आधा दर्जन प्राथमिक स्कूलों में पिछले एक माह से खाना न तो बन रहा है और न ही वितरित हो रहा है। मजेदार बात यह है कि यह सभी जानकारी जिम्मेदार अफसरों को भी है, लेकिन वे कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं कर रहे। दरअसल मिड डे मील के लिए प्रतिदिन स्कूलों के प्रधानाचायरे/प्रधानअध्यापकों अथवा इन्चाजरे को फोन करके जानकारी मांगी जाती है। टोल फ्री नम्बर 1800-4190-102 पर न केवल स्कूल की ओर से यह जानकारी दी भी जा रही है कि स्कूलों में प्रधान खाना नहीं बंटवा रहे हैं, इसके बाद खण्ड विकास अधिकारी अजय विक्रम सिंह, बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी, जिला समन्वयक आनन्द गौड़, तबरेज आलम समेत अन्य आला अफसरों को भी सूचनाएं एसएमएस के जरिये मिल रही हैं, लेकिन इसके बावजूद खण्ड शिक्षा अधिकारी अजय विक्रम सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। दरअसल अधिकारी जानबूझकर मामले को लटकाये रहते हैं और जब पैसा स्वीकृति का समय आता है तो वे बाकायदा ‘‘मोल-तोल’ करके कमीशन सेट करते हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि वर्षो से यह सिलसिला चला आ रहा है कि मार्च के निकट आते ही अधिकारी रजिस्टर को मेनटेन कराते हैं और सब कुछ सही दिखाते हुए कमीशन लेकर पैसा स्वीकृत कर देते हैं।
आखिर किसकी जेब में जा रहे फल के लाखों रुपये
कार्रवाई से बच रहे हैं बीएसए व खण्ड विकास अधिकारी बख्शी का तालाब के आधा दर्जन स्कूलों में भी नहीं बन रहा एमडीएम
लखनऊ (एसएनबी)। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में न केवल संस्थाएं बल्कि जिम्मेदार अधिकारी भी किस तरह से बेपरवाह हैं, यह देखना है तो शिक्षा विभाग की मिड डे मील योजना आसानी से परखी जा सकती है। करोड़ों रुपये के बजट वाले इस योजना में अधिकारी कमरों में बैठकर सत्यापन कर रहे हैं तो वहीं ठेकेदार मनमाना करते हुए लाखों रुपये जेबों में भर रहे हैं। केन्द्र सरकार की मिड डे मील योजना के अन्तर्गत पिछले दिनों शासन ने स्कूलों में सप्ताह में एक दिन फल देने की योजना बनायी। इसके लिए शासन ने बजट भी आवंटित कर दिया, लेकिन राजधानी के कई स्कूलों में बच्चों को फल हाथों में न देकर कागजों में बांटा जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जानते बूझते न केवल लाखों Rs का बजट पास कर रहे हैं बल्कि ठेकेदारों के कुकृत्यों पर पर्दा डालने में भी जुटे हुए हैं। विधानसभा के ठीक सामने वाली सड़क पर चन्द कदमों की दूरी पर स्थित अमीरूद्दौला इस्लामिया इण्टर कालेज में छात्रों ने एमडीएम के मेन्यू में इक्का-दुक्का दिन छोड़कर फल का स्वाद कभी नहीं चखा। स्कूल के पिछले कई महीनों का ब्यौरा बृहस्पतिवार को जब मीडिया ने लिया तो पता चला कि रजिस्टर में भी कहीं भी फल के बारे में दर्ज नहीं है, लेकिन शिक्षा विभाग को ठेकेदार ने जो सूची जमा की, उसमें गोलमाल करते हुए फल खिलाने की बात दर्ज कर दी है। यही नहीं मिलीभगत के चलते लाखों रुपये का भुगतान भी छत्तीसगढ़ सामाजिक सेवा संस्थान के संचालकों को विभाग द्वारा की जा रही है। दागी संस्था के संचालक रब्बानी अलवी से जब पूछा गया तो वे भाग खड़े हुए। गौरतलब है कि पहले भी उक्त संचालक पर तत्कालीन डीएम ने मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिये थे, लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई। बहरहाल इस बावत जब जिला समन्वयक आनन्द गौड़ से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि फल वितरण को लेकर विभाग द्वारा प्रति छात्र चार रुपये कुछ पैसे संस्था को भुगतान किये जा रहे हैं, यदि कोई भी संस्था फल नहीं वितरित कर रही है, तो उसे नोटिस देकर पूरी जानकारी ली जाएगी।
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