दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा की तैयारियां इन दिनों अंतिम चरण में हैं। प्रदेश में परीक्षा केंद्रों का निर्धारण पूरा कर लिया गया है, लेकिन पूरी तरह से नकलविहीन परीक्षा कराने के इंतजाम सिर्फ दावों तक ही सीमित हैं। परीक्षा के प्रवेशपत्र ऑनलाइन देने एवं उस पर परीक्षा कार्यक्रम देकर इस बार बोर्ड ने आंशिक तौर पर ही सही तकनीक के साथ कदमताल तेज किया है। बोर्ड परीक्षाओं में केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया पटरी पर नहीं आ रही है। इस बार भी मुख्यालय पर ही कंप्यूटर के जरिये केंद्र बनाने की तैयारी थी, लेकिन शासन ने अंत में पैर वापस खींच लिए। जिला विद्यालय निरीक्षकों पर ही भरोसा जताया गया है। नकल रोकने के तमाम दावे किए गए हैं, लेकिन परिषद से लेकर अफसरों तक में असमंजस बरकरार है, क्योंकि सिर्फ नियमों के दम पर नकल रोकना संभव नहीं है। प्रदेश के कुछ जिलों के गिने-चुने केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने का प्रयास हुआ, लेकिन इस संबंध में शासन की ओर से निर्देश जारी न होने से यह कदम चंद स्कूलों से आगे नहीं बढ़ सका। 2015 व 2016 की परीक्षाओं में भी यह योजना टांय-टांय फिस्स हो चुकी है। इस बार प्रदेश में डिबार विद्यालयों की संख्या में तेजी से कमी आई है। इसीलिए कुछ जिलों को छोड़कर केंद्र बनाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। 111413 विद्यालय बने परीक्षा केंद्र : ने इस बार 11413 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया है। हालांकि इस बार करीब साढ़े सात लाख परीक्षार्थी पिछली बार की अपेक्षा घट गए हैं। इसके बाद भी परीक्षा केंद्रों की संख्या में उसके अनुरूप कमी नहीं आई है। इससे स्पष्ट है कि जिला विद्यालय निरीक्षकों ने चहेते स्कूलों को केंद्र बना दिया है। ऐसे में उन स्कूलों में नकल विहीन परीक्षा कराना खासी चुनौती होगी। इस बार 513 राजकीय कालेज, 3692 अशासकीय सहायता प्राप्त कालेज व 6208 वित्तविहीन कालेजों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। मूल्यांकन की चुनौती बरकरार : की प्रायोगिक परीक्षा इस बार भी दो चरणों में हुई। इसमें इंटर में तो बाहर के परीक्षक लगाए गए, लेकिन हाईस्कूल की परीक्षा आंतरिक मूल्यांकन के जरिए हुई। इसमें प्रधानाचार्य ने ही परिषद की वेबसाइट पर परीक्षार्थी के अंक दर्ज कराए हैं।’, बोर्ड परीक्षाओं में केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया नहीं आ रही पटरी पर
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