वैसे तो बच्चे विद्यालय में पढ़ने के लिए आते हैं, लेकिन पढ़ाई के साथ-साथ कई अन्य विषयों में ज्ञान भी बच्चों के लिए जरूरी होता है।
बच्चों के सामने भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें तैयार करने का कार्य अध्यापक का होता है। कई बार देखा गया है कि बच्चे पढ़ाई में तो अव्वल होते हैं, परन्तु किसी से मिलने-जुलने में ङिाझक महसूस करते हैं। ये बातें राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) उप्र इलाहाबाद के निदेशक संजय सिन्हा ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के अध्यापिकाओं के चार दिवसीय प्रशिक्षण के चतुर्थ चक्र के उद्घाटन अवसर पर कही।
उन्होंने कहा कि अध्यापकों को बच्चों का सामाजिकीकरण का कार्य विद्यालय में ही करना चाहिए। बच्चों को अपने मित्रों के अलावा भी अन्य बच्चों के साथ बैठने तथा बात करने का मौका मिलना चाहिए। ऐसा लगातार करने से बच्चों में नये लोगों से मिलने की ङिाझक दूर होगी, जो उनके व्यक्तित्व विकास में जरूरी है। कार्यक्रम समन्वयक प्रभात मिश्र, विभागाध्यक्ष डॉ. अमित खन्ना, प्रवक्ता पवन सावंत सरदार अहमद, सुफिया फारूकी व बीआर आबिदी मौजूद थे
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