लखनऊ : बच्चे घर से स्कूल तक सुरक्षित पहुंचें, इसके लिए स्कूलों से संबद्ध बसों की तो जांच हो गई लेकिन, बहुत बड़ी संख्या ऐसे वाहनों की है जिनका स्कूलों से कोई लेना-देना नहीं है। बच्चों को रोज लाने-ले जाने वाले यह वाहन अब भी जांच से बाहर हैं। परिवहन विभाग ने अब ऐसे वाहनों और इनके चालकों को परीक्षण प्रक्रिया से गुजारने की तैयारी की है।
परिवहन आयुक्त के.रविंद्र नायक ने गुरुवार को बताया कि प्रदेश भर में ऐसे वाहनों को चिह्नित किया जा रहा है। इन वाहनों को तो परखा ही जाएगा, साथ ही हर जिले में वाहन चालकों की ओरियंटेशन क्लास भी लगाई जाएगी। इस क्लास में चालकों की आंखों और फिजिकल फिटनेस के साथ उनकी यातायात संबंधी जानकारी का स्तर भी आंका जाएगा। एटा में 19 जनवरी को स्कूल बस की ट्रक से टक्कर में कई बच्चों की मौत होने के बाद परिवहन विभाग हरकत में तो आया लेकिन, असल समस्या तक उसकी पहुंच अब भी नहीं हुई है। परिवहन आयुक्त बताते हैं कि गैर संस्थागत स्कूली वाहनों में लखनऊ और कुछ बड़े जिलों में बड़ी संख्या में मारुति वैन चलाई जा रही हैं, जबकि प्रदेश भर में ज्यादातर बच्चे आटो-टेंपो से ही स्कूल का सफर तय कर रहे हैं।
स्कूलों से जुड़ी बसों की जांच का आदेश परिवहन विभाग ने एटा दुर्घटना के बाद ही जारी कर दिया था। इसमें जिलों के आरटीओ से स्कूलों को नोटिस देने के साथ ही गड़बड़ी पाए जाने पर बस को सीज करने को कहा गया था। दुर्घटना के बाद आपाधापी में वाहनों की तो जांच हो गई लेकिन, जब चालकों के परीक्षण का समय आया तो एक तिहाई फेल हो गए, जबकि एक तिहाई जांच से भाग खड़े हुए। इसीलिए परिवहन विभाग ने वाहनों की परंपरागत फिटनेस जांच से आगे बढ़कर अब प्रदेश भर के स्कूली वाहन चालकों को भी बच्चों को लाने-ले जाने लायक बनाने की तैयारी की है।
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