हमारे विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे विभिन्न वर्गो से आते हैं। उनकी परिस्थितियां, शैक्षिक स्तर, सामाजिक स्तर, आर्थिक स्तर आदि भिन्न हो सकते हैं। ऐसे में अध्यापक किसी को भी कमतर न आंके।
प्रत्येक बच्चा अपने परिवार और समाज से प्राप्त अनुभवों के साथ विद्यालय आता है। उसके अनुभव अन्य की तुलना में भिन्न हो सकते हैं, परन्तु व्यर्थ नहीं होते हैं। प्रत्येक बच्चे के सोचने का तरीका अलग हो सकता है परंतु उसे सीधे-सीधे गलत कह कर हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। ये बात राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) उप्र इलाहाबाद निदेशक संजय सिन्हा ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की शिक्षिकाओं के चार दिवसीय प्रशिक्षण के द्वितीय चक्र की समाप्ति पर कही। सिन्हा ने प्रतिभागियों से कहा कि प्रत्येक बच्चा विशिष्ट होता है, उसमें कुछ छिपी हुई प्रतिभाएं होती हैं, जिन्हें परिष्कृत करने की अपार संभावनाएं होती हैं।
शिक्षकों को चाहिए कि विषय अध्यापन के साथ-साथ व्यक्ति निर्माण के अपने दायित्व का निर्वाह भी करें। विशिष्ट कौशल विकास विषय पर आयोजित इस प्रशिक्षण में सुलतानपुर, बहराइच, बलिया, मथुरा, बांदा, बाराबंकी एवं कुशीनगर के कुल 72 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के समन्वयक प्रभात मिश्र, विभागाध्यक्ष डा. अमित खन्ना, पवन सावंत, सुफिया फारूकी, बीआर आबिदी उपस्थित रहे
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