बेसिक शिक्षा विभाग के जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान किट की खरीद-फरोख्त में लाखों की कमीशनखोरी का आरोप लग रहा है। शिक्षक संघों का कहना है कि अफसरों ने खुद किट खरीदकर मोटा कमीशन खा लिया।जिले के 793 जूनियर हाईस्कूलों में इस वर्ष विज्ञान किट खरीदी जानी थी। इसके लिए सभी विद्यालयों की स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के खाते में शासन ने आठ-आठ हजार रुपये भेजे थे। स्कूलों को निर्देश देकर कहा गया कि पंजीकृत सात फर्मों से विज्ञान किट की खरीद की जाए। स्कूल अभी खरीद की तैयारी ही कर पाए थे कि खंड शिक्षा अधिकारियों ने हेड मास्टरों को दबाव में लेकर आठ-आठ हजार रुपये के चेक ले लिए। इसके बाद एक फर्म से ही सारी खरीद कर ली गई। खंड शिक्षा अधिकारियों ने एक साथ किट मंगवा कर न्याय पंचायत संसाधन केंद्र में रख ली हैं। वहां से ही स्कूलों को भेजी जा रही हैं। जो किट स्कूलों को दी जा रही हैं उसकी क्वालिटी बेहद खराब है।कमीशन का खेल : जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गंगवार ने कहा कि जो किट मिल रही है उसमें दो हजार रुपये से ज्यादा का सामान नहीं है। ऐसे में अगर कभी भी ऑडिट हुआ तो गाज हेडमास्टर पर ही गिरेगी। शिक्षक नेता नरेश गंगवार ने कहा जब विद्यालय प्रबंध समिति को पैसा दिया गया था तो किट खरीदने का अधिकार भी उसे ही मिलना चाहिए था।
हिन्दुस्तान ने जब इस बारे में शिक्षा अधिकारियों से बात की तो हड़कंप मच गया। रातों-रात ट्रक भेजकर बिथरी के न्याय पंचायत संशाधन केंद्र से सभी किटें हटवा दी गईं।
स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को ही किट खरीदनी थी। मेरी जानकारी में अभी कोई शिकायत नहीं आई है। फिर भी जांच कराई जाएगी। चंदना राम इकबाल यादव, बीएसए
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