बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूलों में एक अप्रैल से सत्र की शुरुआत होने जा रही है। हालांकि इस बार भी बच्चों की किताबों का कुछ भी पता नहीं है। इसके लिए अब तक टेंडर तक नहीं हुआ है। ऐसे में पढ़ाई के नाम पर बस औपचारिकताएं ही होंगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि हमने परीक्षा से पहले बच्चों से किताबें जमा करवा ली थीं। जो नए बच्चे होंगे उन्हें वही पुरानी किताबें पढ़ाई करवाई जाएगी। पिछले सत्र की बची हुई कुछ किताबें भी बांटी जाएंगी। शासन से जब किताबें छपकर आ जाएंगी तो बच्चों को दे दी जाएंगी। पिछली बार भी टेंडर प्रक्रिया में देरी होने के कारण हॉफ इयरली एग्जाम के बाद बच्चों को किताबें मिली थीं।
नहीं बन सका बुक बैंक
दो साल पहले एडी बेसिक महेंद्र सिंह राणा की ओर से स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि वह अपने यह बुक बैंक
फिर बिना किताबों के शुरू होगा प्राइमरी स्कूलों का सत्र, अब तक टेंडर भी नहीं हुआ
स्थापित करें। किसी भी स्कूल में बुक बैंक नहीं बनाया गया। इस पर खंड शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि बुक बैंक बनाने के लिए अलग से रैक, अलमारी और कमरे की जरूरत होगी। हमारे स्कूलों में तो क्लास के लिए ही कमरे कम हैं। वहीं जहां जगह है वह इतना फंड नहीं है कि अलमारी और रैक खरीदी जा सके। ऐसे में अगर हम किताबें इकट्ठी भी कर लेते हैं तो वह दीमक बारिश और सीलन से खराब
शहर के ढाई हजार से अधिक प्राइमरी और जूनियर सरकारी स्कूलों का गुरुवार को परीक्षा परिणाम घोषित हुआ। सभी स्कूलों में बच्चों को रिपोर्ट कार्ड दिए गए, इसमें सभी बच्चे पास रहे। परीक्षा न देने वालों को छोड़कर जितनों ने परीक्षा दी उसमें से कोई भी फेल नहीं हुआ। बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि सभी स्कूलों में रिपोर्ट कार्ड बंट गए हैं। शनिवार से नए सत्र की कक्षाओं का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
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