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Tuesday, April 4, 2017

मनमानी फीस वसूलने वाले स्कूलों पर कसेगी नकेल, अधिक फीस वसूली पर तीन साल कारावास और 50 हजार जुर्माने की सजा

*शासन को भेजा उप्र विद्यालय (फीस के संग्रहण का विनियमन) विधेयक का प्रारूप
*अधिक फीस वसूली पर तीन साल कारावास और 50 हजार जुर्माने की सजा

लखनऊ। राज्य सरकार निजी स्कूलों की ओर से वसूली जा रही मनमानी फीस पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इस मकसद से उत्तर प्रदेश विद्यालय (फीस के संग्रहण का विनियमन) विधेयक, 2016 का प्रारूप तैयार कर शासन को भेजा है। प्रस्तावित विधेयक के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाए जाने वाले को एक से लेकर तीन साल तक के कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा होगी। निर्धारित से ज्यादा फीस वसूलने के दोषी व्यक्ति को छात्र से वसूली गई अतिरिक्त फीस वापस करनी होगी।

रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति : प्रस्तावित विधेयक में प्रावधान है कि राज्य सरकार निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति गठित करेगी। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा, निदेशक माध्यमिक शिक्षा, निदेशक बेसिक शिक्षा और लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (भवन) समिति के पदेन सदस्य होंगे जबकि शिक्षा विभाग के उप सचिव इसके सदस्य-सचिव होंगे। समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल होगा। भाजपा ने लोक कल्याण संकल्प पत्र में निजी स्कूलों की फीस व्यवस्थित करने के लिए पैनल गठित करने का एलान किया है।

फीस तय करने के आधार : समिति निजी स्कूलों की लोकेशन, उनमें उपलब्ध अवस्थापना सुविधाओं, प्रशासन और रखरखाव पर होने वाले खर्च, विद्यालय के विकास और वृद्धि के लिए अपेक्षित सरप्लस कोष, आदि कारकों पर गौर करते हुए उनकी फीस तय करेगी। संबंधित विद्यालय को इसकी जानकारी भी देगी।

तीस दिन में दर्ज करानी होगी आपत्ति : यदि किसी स्कूल को समिति के निर्णय पर आपत्ति होती है तो वह इस फैसले की जानकारी मिलने के 30 दिन के अंदर समिति के सामने उसे दर्ज कराएगा। स्कूल की ओर से आपत्ति प्राप्त होने पर समिति उस पर विचार करेगी और तीस दिन के भीतर आदेश पारित करेगी। यह आदेश अंतिम होगा। स्कूल को तीन शैक्षणिक वर्षों तक उस आदेश का पालन करना होगा। इसके बाद ही वह फीस के पुनरीक्षण के लिए समिति के सामने आवेदन कर सकेगा।

अधिक फीस वसूली पर रद होगी मान्यता : समिति को निजी स्कूलों में उसके और सरकारी व सहायताप्राप्त विद्यालयों में सरकार द्वारा तय की गई फीस से अधिक शुल्क वसूले जाने की शिकायतों की सुनवाई का अधिकार भी होगा। समिति यदि यह पाती है कि स्कूल तय से अधिक फीस वसूल रहा है तो वह सक्षम प्राधिकारी से उसकी मान्यता रद करने की सिफारिश कर सकेगी। समिति को निजी स्कूलों के फीस के ढांचे और उससे संबंधित दस्तावेजों को तलब करने का भी अधिकार होगा। फीस से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए समिति को सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी।
स्कूलों की निगरानी को जिला समिति : राज्य सरकार हर जिले में जिला शिक्षा अधिकारी सतर के अफसर की अध्यक्षता में एक जिला समिति गठित करेगी। प्रस्तावित विधेयक या उसके तहत बनाए जाने वाले नियमों के उल्लंघन की शिकायत मिलने पर जिला समिति या उसका कोई सदस्य स्कूल परिसर में जाकर तलाशी ले सकेगा और संबंधित दस्तावेजों की छानबीन कर सकेगा।

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