बजट दिया गया सिर्फ 47 प्रतिशत के लिए
लखनऊ । सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मिड-डे-मील खाने के लिए थाली-गिलास देने की योजना अधर में फंस गई। राजधानी में उपस्थिति के आधार पर करीब एक लाख 63 हजार 300 बच्चों के लिए माध्यान्ह भोजन प्राधिकरण से थाली-गिलास की मांग की गई थी। जिसमें सिर्फ एक लाख आठ हजार बच्चों के लिए ही बर्तन की व्यवस्था की गई। शेष 55,500 बच्चों के लिए अब तक थाली-गिलास का बजट ही नहीं दिया गया। लिहाजा बच्चे मिड-डे-मील खाने के लिए अपनी बारी कर इंतजार करने को मजबूर हैं।
परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों के साथ राजकीय, सहायता प्राप्त एवं मदरसा आदि में कक्षा एक आठ तक बच्चों को मिड-डे-मील दिए जाने की व्यवस्था है। राजधानी के 2029 विद्यालयों में पढ़ने वाले आठवीं तक के बच्चों को यह सुविधा दी जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गरमागरम मिड-डे-मील व दूध दिए जाने की सुविधा को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रत्येक छात्र-छात्राओं को एक अच्छी गुणवत्ता की स्टेनलेस स्टील की थाली व गिलास उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। बीते 20 अक्टूबर को इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा अजय कुमार सिंह ने डीएम व बीएसए को निर्देश जारी कर इसका वितरण सुनिश्चित कराने के लिए कहा था।
राजधानी में दो लाख 37 हजार बच्चों में से एक लाख आठ हजार बच्चों के लिए ही थाली-गिलास का बजट आया था। शेष बजट के लिए प्रस्ताव माध्यान्ह भोजन प्राधिकरण को भेजा गया था। लेकिन वहां से बजट नहीं आया है। - प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए लखनऊ
प्रत्येक थाली-गिलास के लिए 113.30 रुपए के आधार पर बजट दिया गया। मिड-डे-मील कार्यालय के मुताबिक राजधानी में इसके वितरण की जिम्मेदारी दीवान एंड सन्स को दी गई। विभागीय जानकारी के मुताबिक लखनऊ के राजकीय, सहायता प्राप्त, परिषदीय एवं मदरसा आदि में दो लाख 37 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। लेकिन रोजाना उपस्थिति 69 प्रतिशत (एक लाख 63,000) ही रहती है। इसी आधार पर माध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने थाली-गिलास का प्रस्ताव मांगा था। इनमें से एक लाख आठ हजार छात्र-छात्राओं को थाली-गिलास दे दिया गया। लेकिन उपस्थिति के आधार पर शेष 55 हजार 500 बच्चे अब तक इसका इंतजार कर रहे।
नहीं दी गई बजट की दूसरी किश्त : बच्चों को थाली-गिलास मुहैया कराने के लिए पहले चरण का बजट दे दिया गया। लेकिन बजट की दूसरी किश्त आज तक नहीं जारी नहीं की गई। मिड-डे-मील के जिला समन्वयक आनंद गौढ़ के मुताबिकबच्चों की रोजना उपस्थिति 69 प्रतिशत रहती है। इसी आधार पर 1,63,300 बच्चों को थाली-गिलास उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। इनमें से एक लाख आठ हजार के लिए ही बजट आया था। जानकारों का कहना है चूंकि यह पूर्व सरकार की योजना थी, ऐसे में अब बजट मिलना मुश्किल है।
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