बिजनौर : बेसिक शिक्षा विभाग में योजनाओं व प्रशिक्षण की धनराशि को भ्रष्टाचार की दीमक लगी हुई है। विद्यालय प्रबंधक समिति का गठन हुए एक साल बीत गया, लेकिन समिति के सदस्यों को अभी तक प्रशिक्षण नहीं दिया गया। ऐसा नहीं कि प्रशिक्षण का बजट शासन से नहीं आया, बल्कि अधिकारी धनराशि को गोलमाल करने के लिए साल भर से दबाए बैठे हैं। समिति का दूसरा साल अप्रैल से आरंभ हो जाएगा। अब शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि धनराशि एनपीआरसी के खातों में भेज दी गई है, लेकिन अधिकांश एनपीआरसी का कहना है कि उन्हें प्रशिक्षण से संबंधित कोई धनराशि नहीं मिली है।
बेसिक शिक्षा विभाग का नया सत्र एक अप्रैल से आरंभ हो रहा है। तमाम योजनाओं के संचालन के लिए विद्यालय में एसएमसी अर्थात विद्यालय प्रबंध समिति का गठन किया जाता है। इसका कार्यकाल दो साल को होता है। जिले में गत शैक्षिक सत्र में विद्यालय प्रबंध समिति का गठन हुआ था। उन्हें कार्यकुशल बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाने का नियम है। विद्यालय प्रबंधक समिति में शामिल लोगों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण के लिए प्रत्येक विद्यालय को करीब 1800 रुपये दिए जाने की व्यवस्था है, जो एनपीआरसी स्तर पर दिया जाता है। शैक्षिक सत्र पूरा बीत गया, लेकिन सदस्यों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया और बिना प्रशिक्षण के उन्होंने पूरा कार्यकाल बिता दिया। यह है एसएमसी : बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 21 के तहत प्रत्येक विद्यालय में एक विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) गठित होती है। इसका कार्यकाल दो साल का होता है। समिति के कुल सदस्यों में से कम से कम 50 प्रतिशत महिलाएं होती हैं। यह है एसएमसी का कार्यकाल विद्यालय प्रबंध समिति का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। दो वर्ष बाद पुन: इस समिति का पुनर्गठन किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष जुलाई में विद्यालय प्रबंध समिति के अभिभावक सदस्यों को अद्यतन किया जाएगा।
विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष बदलने की स्थिति में अथवा प्रधानाध्यापक के स्थानांतरण की स्थिति में खाता संचालन में यथा आवश्यक संशोधन बीएसए की अनुमति से किया जाएगा।
बोले अफसर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महेशचंद्र का कहना है कि प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी कराकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। प्रशिक्षण की धनराशि जल्द से जल्द भिजवाई जाएगी
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