शिक्षा सत्र प्रारंभ हुए एक पखवारे से अधिक का समय बीत चुका है, इसके बावजूद परिषदीय विद्यालयों में न तो छात्र उपस्थिति बढ़ रही है और न ही नए नामांकन में तेजी आ रही है। शिक्षक स्कूलों में बैठकर छात्रों का इंतजार कर रहे हैं और छात्र नदारद हैं। शिक्षक घर-घर जाकर अभिभावकों से मिल रहे हैं, लेकिन उसका कोई विशेष प्रभाव नजर नहीं आ रहा है।
एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है। परीक्षाफल घोषणा के बाद से जहां उम्मीद लगाई जा रही थी कि नए छात्रों के नामांकन से स्कूलों की रौनक बढ़ेगी, वहीं परिषदीय स्कूलों की हालत और खराब हो गई। एक तरफ जहां विद्यालयों में उपस्थिति कम होती जा रही है वहीं नए नामांकन भी नहीं हो रहे हैं। सारी सुविधाएं मिलने के बाद भी छात्र स्कूल नहीं आना चाह रहे हैं। वहीं प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए कतारें लगी हैं।
गेहूं काटने में व्यस्त हैं बच्चे : परिषदीय स्कूलों में अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे पढ़ते हैं। इन दिनों वे परिवार के साथ गेहूं काटने व अन्य कृषि कार्यों में व्यस्त हैं, जिस कारण परिषदीय स्कूलों में सन्नाटा पसरा है। शत प्रतिशत नामांकन के लिए शिक्षकों द्वारा स्कूली बच्चों के साथ स्कूल चलो रैली के साथ अन्य कार्यक्रमों का आयोजन स्कूल चलो अभियान के तहत किया जाता है, परंतु इन कार्यक्रमों का भी कोई विशेष प्रभाव स्कूलों में नहीं दिख रहा है।
बोले अधिकारी : महेवा के खंड शिक्षा अधिकारी गजेंद्र सिंह ने बताया कि विकास खंड में प्राथमिक विद्यालय 199 व उच्च प्राथमिक विद्यालय 80 हैं। पिछले सत्र में प्राथमिक विद्यालयों में 13,134 व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 5047 बच्चे पंजीकृत थे। चालू सत्र में प्राथमिक विद्यालयों में 12,334 व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 4,846 बच्चे ही अब तक पंजीकृत हुए हैं
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