प्रदेश भर के राजकीय व अशासकीय महाविद्यालयों में अब ड्रेस कोड खत्म हो गया है। कालेजों के महिला या पुरुष प्राध्यापकों पर शालीन वेशभूषा में आने की बाध्यता नहीं है, वह मनमर्जी के कपड़े पहनकर आ सकते हैं। छह दिन पहले उच्च शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में आदेश जारी किया था, उसमें से जींस-टीशर्ट आदि न पहनने का आदेश वापस हो गया है। हालांकि कालेजों में पान, गुटखा खाने और धूम्रपान करने पर रोक यथावत रहेगी।
सूबे में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सभी विभाग सरकार के साथ कदमताल कर रहे हैं। 30 मार्च को संयुक्त शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा डा. उर्मिला सिंह ने शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा डा. आरपी सिंह की ओर से सभी राजकीय व अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यो को पत्र भेजा था। पत्र में कहा गया था कि महाविद्यालय परिसर में पान, गुटखा, तंबाकू व धूम्रपान आदि के सेवन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाती है। स्वच्छता शपथ दिलाने, बायोमेटिक उपस्थिति, नकल विहीन परीक्षा, उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन और परीक्षा ड्यूटी में सभी प्राध्यापकों के सहयोग देने को कहा गया है। इसी के साथ शालीन वेशभूषा में परिसर में आने व जींस-टीशर्ट का प्रयोग वर्जित किये जाने का निर्देश दिया गया था।
संयुक्त निदेशक ने यह आदेश जारी करने का स्पष्टीकरण देते हुए लिखा है कि बेसिक शिक्षा विभाग व अन्य महकमों में अफसरों के निर्देश समाचारपत्रों में पढ़कर यह अनुभव किया कि यदि महाविद्यालय के प्राध्यापक भी शालीन कपड़ों में कालेज आएंगे तो उसका छात्र-छात्रओं पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इसीलिए शिक्षकों को जींस-टीशर्ट का प्रयोग वर्जित करने का आदेश दिया था। संयुक्त निदेशक ने छह अप्रैल को जारी पत्र में लिखा है कि प्राध्यापकों की भावना को देखते हुए शालीन वेशभूषा में आने व जींस-टीशर्ट का प्रयोग वर्जित वाक्यांश को विलोपित किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि महाविद्यालय के शिक्षक इस मामले को वरिष्ठों तक ले गये और उन्हें समझाया कि छात्र-छात्रओं का महाविद्यालय में ड्रेस कोड नहीं होता है ऐसे में शिक्षकों को ऐसा निर्देश देना ठीक नहीं है। इसीलिए महज छह दिन में ही आदेश को वापस लेने का आदेश जारी किया गया है।
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