साल भर अभिभावक की जेब में डाका डालने के बाद नए सत्र की शुरुआत में तमाम निजी शिक्षण संस्थानों में स्टेशनरी बेची जाती है। इस अवैध काम में एक दो शिक्षण संस्थान नहीं हैं बल्कि उनकी लंबी फेहरिस्त है। प्रशासन को मानों खुला चैलेंज देकर स्टेशनरी की दुकान शिक्षण संस्थानों में संचालित की जाती है। बीएसए ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए कहाकि अगर शिक्षण संस्थान से कॉपी किताबों की बिक्री पाई गई तो मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई करने में गुरेज नहीं किया जाएगा।
शनिवार से नया शिक्षा सत्र चालू हो रहा है। नई कक्षाओं में प्रवेश को लेकर स्कूलों का रंग रोगन व बच्चों को सुविधाएं दिखाई जा रही हैं। यह सुविधाएं चंद महीनों में ठप कर दी जाएंगी, लेकिन अभिभावकों को लुभाने के लिए स्कूल संचालकों द्वारा ऐसे लोक लुभावने काम किए जा रहे हैं। इन सब के बीच स्कूलों में नई कक्षाओं के संचालन के लिए कॉपी-किताब की बिक्री के लिए बाजार से लेकर शिक्षण संस्थानों में आमद हो चुकी है। बस अभिभावकों का इंतजार हो रहा है। बीएसए विनय कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल में स्टेशनरी शॉप का संचालन कतई नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह ब्लाक क्षेत्र में पैनी नजर रखकर इस गलत काम की गोपनीय रिपोर्ट मंगाएं। इसके बाद आरोपी शिक्षण संस्थान में छापेमारी करके कार्रवाई करें। शिक्षण संस्थान में यह गलत काम होने पर मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई की जाएगी।
निजी स्कूलों में अभिभावकों की जेब काटने की तैयारी : निजी स्कूलों में संचालित किताबों के ऊपर अनाप-शनाप रेट अंकित हैं। प्रबंधकों और प्रकाशकों के खेल में अभिभावक बीते कई सालों से बदस्तूर लुट रहा है। रोकथाम के प्रभावी कदम काम नहीं आ रहे हैं। 1जाग
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