जागरण संवाददाता, रायबरेली : बेसिक शिक्षा विभाग का अड्डा बनता जा रहा है। कहीं कक्ष निर्माण का पैसा डकार लिया गया तो कहीं पर एमडीएम का फर्जी भुगतान हो गया। कार्रवाई के नाम मात्र कागजी खानापूर्ति। अब दो मामले ऐसे आए हैं जिसमें बिना टीइटी पास शिक्षक नौकरी कर रहे हैं तो बीटीसी की जगह दो डीएड प्रशिक्षर्थियों को नौकरी दे गयी है। 1शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 व सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को धता बता हुए बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मृतक आश्रितों को बिना टीइटी पास के शिक्षक बना दिया है। देवावंदपुर निवासी बृजेंद्र सिंह श्रीवास्तव ने बीएसए को ज्ञापन देकर शिकायत की है। एक शिक्षक प्राथमिक विद्यालय धनबाद लालगंज, अंबारा पश्चिम में कार्यरत हैं तो वहीं दूसरे अध्यापक प्राथमिक विद्यालय पूरे सभा डीह में हैं। 2014 में दोनों शिक्षकों को मृतक आश्रित के नियम के तहत नौकरी मिली थी लेकिन दोनों ही शिक्षकों ने टीइटी पास नहीं की है। 1इन दोनों अप्रशिक्षिक अध्यापकों ने खंड शिक्षा अधिकारी की मेहरबानी से नौकर पा ली। साथ ही दोनों शिक्षकों को वेतन भी मिल रहा है। बृजेंद्र शरण ने बताया कि 6 फरवरी 2017 को उच्चाधिकारियों से शिकायत की गई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब पटल लिपिक पत्रवलियों को गायब होने की बात बता रहे हैं। आखिर फाइल कैसे गायब हो गई। इस पर भी कार्रवाई नहीं की गई। 1बीएसए पर लगे आरोप1सोनिया नगर निवासी पवन कुमार श्रीवास्तव ने 27 अगस्त 2016 को 554 नियुक्तियों के मामले पर बीएसए पर निशाना साधा है। शिकायत सीधे मुख्यमंत्री से की गयी है। आरोप लगाया गया कि बीएसए ने नियमों की अनदेखी कर डीएड पास क्रमांक 133 व क्रमांक 284 के अपात्र अभ्यर्थियों को नौकरी दी है।1 एक शिक्षिका प्राथमिक विद्यालय अकोड़िया में है तो दूसरी शिक्षिका प्राथमिक विद्यालय मतरौली में काम कर रही है। जब किसी मामले को लेकर सोनभद्र व मिर्जापुर के बीएसए फंस गए तो जिला रायबरेली के बीएसए ने सेवा समाप्त करने के उद्देश्य से दोनों शिक्षिकाओं को बुलाया लेकिन खुद अनुपस्थित रहकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई। सीएम से मांग की गयी है कि पटल लिपिक व बीएसए के खिलाफ जांच कराकर दोनों को निलंबित किया जाए। बीएसए जीएस निरंजन का कहना है जो आरोप हैं वह निराधार हैं, नियम के अनूरूप नियुक्ति दी गयी है। फिर भी जांच कराई जाएगी
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